उस सूर्यकुमारी से पुरुरवा नामक लड़का पैदा हुआ। उसने मथुरा में अपने राज्य की प्रतिष्ठा की और बहुत समय तक वह उस राज्य पर शासन करता रहा। मथुरा उसके राज्य की राजधानी थी। चन्द्रवंशी यादव प्रयाग के मूल निवासी थे। यदुवंश में श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था और द्वारिकापुरी की प्रतिष्ठा की थी। कृष्ण के आठ रानियाँ थीं, इन रानियों में रूक्मणी प्रधान थी। उसके पुत्रों में प्रद्युम्न सब से बड़ा था। उसने विदर्भ की राजकुमारी से विवाह किया था। उस राजकुमारी से अनिरुद्ध और बज्र नाम के दो पुत्र पैदा हुए। वज्र से भाटियों की उत्पत्ति हुई। वज्र के दो लड़के हुए। पहले का नाम था, नाभ और दूसरे का, खेर अथवा क्षेर। द्वारिका में जब यादव युद्ध कर रहे थे, उनके साथ के बहुत से लोग मारे गये थे और कृष्ण ने स्वर्ग की यात्रा की, उस समय बज्र मथुरा से अपने पिता को देखने के लिए वहाँ जा रहा था। चालीस मील के आगे मार्ग में उसने सुना कि उसके परिवार के सभी लोग युद्ध में मारे जा चुके हैं, यह सुनते ही उसको इतना अधिक मानसिक आघात पहुँचा कि उसकी वहीं पर मृत्यु हो गयी। उसके बाद नाभ मथुरा के सिंहासन पर बैठा और खेर द्वारिका चला गया। यादवों ने सम्पूर्ण भारत में अपने राज्य का विस्तार करके जिन छत्तीस राजवंशों पर अत्याचार किया था, वे सभी राजवंश अब उनसे अपना बदला लेने लगे। इसका परिणाम यह हुआ कि खेर को द्वारिकापुरी से भागना पड़ा और मरुस्थली में पहुँचकर पश्चिम में उसको राजसिंहासन पर बैठने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यहाँ तक भागवत में उल्लेख पाया जाता है। इसके आगे का इतिहास लिखने के लिए मथुरा के ब्राह्मण शुक्र धर्म का हम आधार ले रहे हैं। नाभ के एक बेटे का नाम प्रतिबाहु था। खेर से जाड़ेचा और यदुभानु का जन्म हुआ। यदुभानु जिन दिनों में तीर्थ यात्रा के लिए गया था, मार्ग में उसके वंश की देवी ने प्रसन्न होकर और सोते हुए जगा कर उससे कहा-"तुम्हारी जो इच्छा हो मुझसे मांगो।" यदुभानु ने कहा-"देवी, तुम मुझे किसी राज्य का राजा वना दो, जिससे मैं संतोप के साथ वहाँ पर रह सकूँ।" "तुम इन्हीं पहाड़ों पर राज्य करो"-यह कहकर देवी वहाँ से तिरोहित हो गयी। सवेरा होने पर यदुभानु की नींद खुली। उस समय उसको रात में देखे हुए सपने की याद आयी। उसके बाद ही उससे कुछ दूरी पर मनुष्यों का कोलाहल सुनायी पड़ा। उसने पता लगाया तो मालूम हुआ कि यहाँ के राजा की मृत्यु हो गयी है। उसके कोई पुत्र नहीं है। इसलिए उसके स्थान पर किसको राजा बनाया जाये, लोग इसके लिए आन्दोलन कर रहे हैं। उस बढ़ते हुए कोलाहल के समय मृत राजा के मंत्री ने कहा 'आज मैंने सपना देखा है कि श्रीकृष्ण का एक वंशज यहाँ पर आया है।" मंत्री के मुख से इस बात को सुनकर सभी लोग बहुत प्रसन्न हुए और कृष्ण वंशज को लोग खोजने निकले। यदुभानु के मिल जाने पर लोग उसे राजधानी में ले गये और 44 $4 के उस 3
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