पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/६९

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राज्य की जातियाँ-इन दिनों में भाटी वंश के जो लोग जैसलमेर में रहते थे, वे सभी हिन्दू थे। लेकिन फूलरा और गाडा की तरफ रहने वाले भाटी लोगों ने बहुत पहले इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था। राज्य के भाटी लोग अधिक साहसी और शूरवीर पाये जाते थे। चाहे वे राठौरों की तरह शक्तिशाली न हों और कछवाहों की तरह लम्बे-चौड़े शरीर न रखते हों, परन्तु शरीर के गठन में वे इन दोनों वंशों से अच्छे पाये जाते थे। राजस्थान के सभी राजपूतो के साथ भाटी राजपूतों के वैवाहिक सम्वन्ध होते थे। वस्त्र-भाटी लोग अधिकतर छींट का सफेद जामा पहनते थे, जो उनकी रानों के नीचे घुटनों तक लम्वा होता था, कमर में कमरबन्द बाँधते थे। तंग मोरी का पाजामा पहनते थे। उनके पाजामें ऊपर से घेरदार होते थे। कुमकुम रंग की सिर पर पगड़ी बांधते थे। कमर में प्रत्येक भाटी एक कृपाण रखता था। उनके साथ ढाल और तलवार रहती थी। साधारण श्रेणी का आदमी धोती पहनता था और पगड़ी बाँधता था। भाटी लोगों की स्त्रियाँ आमतौर पर दस गज लम्बा रेशमी कपड़े का घाघरा पहनती है और प्रायः उसी कपड़े का उनका दुपट्टा होता है। उनकी स्त्रियों में हाथी दांत की चूड़ियाँ पहनने का अधिक रिवाज था। इन चूड़ियों से उनका पूरा हाथ ढका रहता था। एक जोड़ा चूड़ी का मूल्य सोलह रुपये से लेकर पैतीस रुपये तक होता था। भाटी स्त्रियाँ हाथों में चॉदी के कड़े भी पहनती थीं। नीच जाति की स्त्रियाँ दूसरों के घरों पर काम करती थीं और वे खेती के कामों में भी वड़ा परिश्रम करती थीं। अफीम- दूसरे राजपूतों की तरह भाटी राजपूत भी अफीम खाते था। अफीम को शरवत की तरह पीते थे और उसके बाद तम्बाकू खाते थे। अफीम खाने के बाद वे प्रायः नशे में बेहोश हो जाते थे। पल्लीवाल ब्राह्मण-जैसलमेर में पल्लीवाल ब्राह्मण रहते थे और उनकी संख्या प्रायः भाटी लोगों के बराबर पायी जाती थी। पल्लीवाल ब्राह्मण आमतौर पर धनिक होते थे। राठौरों के द्वारा मारवाड़ की प्रतिष्ठा के पहले इन पल्लीवाल ब्राह्मणों के पूर्वज पाली अथवा पल्ली नामक स्थान पर रहा करते थे। बारहवीं शताब्दी में कन्नौज से निकलकर सिया जी ने मारवाड़ में पल्ली लोगों को पराजित किया था। परन्तु उसने इनका विनाश नहीं किया था। उसके बाद एक मुस्लिम बादशाह ने पल्ली पर आक्रमण किया और जीतकर उसने पल्ली वालों से कर मांगा। पल्ली वालों ने पराजित होने के बाद भी कर देने से इन्कार किया और कहा कि हम लोग ब्राह्मण हैं। आज तक किसी बादशाह और राजा ने हम लोगों से कर नहीं लिया। इन ब्राह्मणों के मुख से इस प्रकार का उत्तर सुनकर बादशाह को बहुत क्रोध आया। उसने पल्ली वालों के सरदारों को कैद करवा लिया। परन्तु उन लोगों ने इसके बाद भी कर नहीं दिया। इस दशा में बादशाह ने उनको पल्ली राज्य से निकाल दिया। उसके बाद ये लोग वहाँ से भागकर जैसलमेर आ गये और इनके बहुत से आदमी बीकानेर, धात और सिंध में जाकर रहने लगे। जैसलमेर में पल्लीवाल ब्राह्मण प्रसिद्ध व्यवसायी समझे जाते थे। वहाँ का व्यवसाय इन्हीं लोगों के हाथों में था। ये लोग व्यवसाय कुशल पाये जाते थे। राज्य के किसानों को ये लोग कर्ज में रुपये देते थे और वे लोग जो कुछ पैदा करते थे, उसे पल्लीवाल लोग सस्ते भावों में खरीदकर दूसरे राज्यों को भेज देते थे। 63