तालाबों का रूप धारण करता है। उन दिनों वहाँ के निवासी ऊँचे घेरे बनाकर उस पानी को रोकने की कोशिश करते हैं। अधिक वर्षा होने के कारण इन छोटे-छोटे तालाबों में इतना अधिक जल एकत्रित हो जाता है जो साल भर तक लोगों के काम आता है। इस प्रकार के तालाबों मे कानोदसर एक तालाब का नाम है। यह बहुत बड़ा है और कानोद से मोहनगढ़ तक अट्ठारह मील मे इस तालाब मे बराबर पानी बना रहता है। बरसात के दिनों मे इसमें इतना अधिक पानी एकत्रित हो जाता है कि उससे एक छोटी-सी नदी निकल कर पूर्व की तरफ तीस मील तक प्रवाहित होती है। इस तालाब से कुछ नमक भी पैदा होता है और उससे राज्य को कुछ अधिक लाभ भी हो जाता है। खेतों की पैदावार-यद्यपि इस राज्य की भूमि रेतीली होने के कारण अनुपजाऊ है, परन्तु इस भूमि से पैदावार की शक्ति का बिल्कुल लोप नहीं हुआ। राज्य की कुछ भूमि कुछ अनाजों की पैदावार के लिए बड़ी अच्छी समझी जाती है और उसमे वाजरे की पैदावार अधिक होती है। वहाँ पर यदि कोई बाधा न पड़ी तो इतना अधिक बाजरा पैदा हो जाता है कि वहाँ के लोग तीन वर्ष तक उसे अपने खाने के काम में लेते हैं। इस राज्य मे सिंध से गेहूँ आता है। यहाँ के किसानो को बाजरे की खेती करने में अधिक सुविधा रहती है। बाजरे की फसल मे दो-तीन बार अच्छा पानी हो जाने से भी उसकी पैदावार अच्छी हो जाती है। भारतवर्ष के अन्य स्थानो की अपेक्षा जैसलमेर का बाजरा अच्छा माना जाता है। वह स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है। फसल के दिनों में यहाँ पर बाजरे का भाव एक रुपये का डेढ़ मन तक साधारण तौर पर हो जाता है। परन्तु यह भाव फसल के बाद नहीं रहता। यहाँ पर ज्वार भी पैदा होती है। परन्तु उसकी पैदावार साधारण रहती है। पहाड़ी स्थानों के करीब कहीं-कहीं पर कुछ फलो के पेड पाये जाते हैं। वे खाने में स्वादिष्ट होते हैं और राज्य के बाहर भी भेजे जाते हैं। जैसलमेर की राजधानी के आस-पास के स्थानो में, जहाँ पर खेती में जल का उपयोग किया जा सकता है, अच्छे गेहूँ की पैदावार होती है। इस राज्य में चावल नही पैदा होता और आवश्यकता के लिये चावल सिंध से मंगाया जाता है राज्य में जहाँ की मिट्टी मुलायम होती है, वहाँ पर खेती के लिए साधारण हल का प्रयोग किया जाता है। इन हलों में बैल और ऊँट-दोनो काम करते हैं। एक हल में दो बैल अथवा दो ऊँट जोते जाते हैं। शिल्प-कार्य-इस राज्य में शिल्प से सम्बन्ध रखने वाला कोई व्यावसायिक कार्य नहीं होता। कुछ लोग कपड़ा बुनने का काम करते है और उनसे जो कपड़ा तैयार होता है, वह बहुत साधारण होता है। कपडा बुनने के लिये उत्तम श्रेणी की रुई राज्य से बाहर चली जाती है। राज्य में भेडों के बालों से लोई, कम्बल और कुछ दूसरे कपड़े तैयार किये जाते है। यहाँ पर आचारी नाम की एक खान भी है। उसकी काली मिट्टी से अनेक प्रकार के बर्तन बनाये जाते हैं और वे बर्तन खाने-पीने के काम में आते हैं। वाणिज्य-जैसलमेर राज्य के निवासियों का कोई विशेष वाणिज्य नहीं है। भारत के दूसरे नगरों की जो चीजे सिंध की तरफ विकने के लिए आती हैं, उनका रास्ता जैसलमेर होकर है। हैदराबाद, रोडी, भक्खर, शिकारपुर और कुछ दूसरे स्थानों से वाणिज्य की चीजें इस - 60
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