पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/६५

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अध्याय-54 जैसलमेर की अन्य परिस्थितियाँ । पिछले परिच्छेदों में इस राज्य के राजनीतिक इतिहास का वर्णन किया गया है। जैसलमेर राज्य के इतिहास का यह अन्तिम परिच्छेद है। इसमें वहाँ की भौगोलिक प्रकृति, सामाजिक और कुछ दूसरी आवश्यक बातें लिखी गयी हैं, जिनके इस राज्य के इतिहास के साथ-साथ जानना और समझना आवश्यक है। जैसलमेर राज्य की भूमि नीची-ऊँची है और राज्य की सम्पूर्ण भूमि पन्द्रह हजार वर्ग मील में है। इस राज्य के ग्रामों और नगरों की संख्या दो सौ पचास के करीब अनुमान की जाती है। कुछ लोगों का कहना है कि उनकी संस्था तीन सौ से कम नहीं है। सन् 1815 ईसवी में जैसलमेर की जितनी जनसंख्या थी, उसकी तालिका इसी परिच्छेद के अन्त में दी गयी है। इस राज्य की भूमि कुछ थल अथवा रोही और कुछ उजाड़ एवं जंगली है। जोधपुर की सीमा पर बसे हुए लोवार से सिन्धु की सीमा से खाड़ा तक इस राज्य की भूमि पूर्ण रूप से रेतीली और जलहीन है। इसके बीच के भागों में रेतीले स्तूप पाये जाते हैं और उसके कुछ भागों में जगल है। लोबार से खाड़ा तक जो राज्य का हिस्सा है, उसने जैसलमेर राज्य को दो भागों में विभाजित कर दिया है। यह भूमि उपजाऊ नहीं है। उसमें कोई भी चीज पैदा नहीं होती। उत्तरी दिशा की भूमि भी उजाड़ है। दक्षिण में मगरा और रोई नाम के दो छोटे-छोटे पहाड़ हैं। उनके दृश्य देखने में बड़े सुहावने मालूम होते हैं। इन छोटे पर्वतों का रूप राज्य में सर्वत्र एक-सा नहीं है। उसके कुछ स्थानो के दृश्य ऐसे हैं, जो देखने मे पर्वत नहीं मालूम होते। जैसलमेर की राजधानी के मध्य भाग मे इन पर्वतो की ऊँचाई दो सौ पचास फुट है। उसको देखने से एक पर्वत का आभास होता है। भाटी लोगों की राजधानी पर्वत के विल्कुल नीचे है और वहाँ से पन्द्रह, सोलह मील तक पर्वत की शाखायें फैली हुई हैं। एक शाखा जैसलमेर से पैंतीस मील उत्तर-पश्चिम की तरफ रामगढ़ तक चली गयी है और दूसरी पूर्व की तरफ से चलकर जोधपुर राज्य होती हुई पोकर्ण तक पहुँच गयी है और वहाँ से उत्तर की तरफ फलौदी तक गयी है। इस प्रकार राज्य के अनेक भागों में पर्वत की शाखायें फैली हुई हैं। पर्वत के ऊपर रेतीले पत्थर हैं । वहाँ पर गेरू मिट्टी पैदा होती है। जैसलमेर के निवासी अपने पहनने के कपड़ों को इसी गेरू मिट्टी मे रङ्गा करते हैं। इस राज्य के पर्वत के ऊपर कोई चीज पैदा नहीं होती। वहाँ पर कोई भी वृक्ष नहीं है। उसके किसी-किसी स्थान पर वट के वृक्ष दिखायी देते हैं। सम्पूर्ण जैसलमेर राज्य में ऐसी एक भी नदी नहीं है जो प्रवाहित होती रहती हो। पर्वत के रेतीले शिखरों से बरसात के दिनों में खारे पानी की कुछ धाराये निकलती है, जिनका पानी राज्य के स्थानो पर एकत्रित होकर छोटे 59