पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/५८

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- जैसलमेर की सीमा के भीतर मिले और सालिम सिंह की योजना के अनुसार विश्वासघात करके उन लोगो ने खेतसी को मार डाला। यह समाचार जव खेतसी की स्त्री को मिला तो वह अश्रुपात करती हुई सालिम सिंह के यहाँ पहुँची। इसलिए कि वह सालिम सिह को अपना सब से अधिक शुभचिन्तक समझती थी। परन्तु उसे वहीं पर यह मालूम हो गया कि मेरे स्वामी मारे जाने मे इसी सालिम सिंह का पड्यंत्र था तो प्रतिहिंसा की भावना से उस स्त्री के अन्तरतम में आग की लपटे उठने लगीं। सालिम सिंह को जव यह मालूम हुआ तो उसने खेतसी की स्त्री को भी मरवा डाला। सालिम सिंह ने इन दिनों में लगातार उन लोगों की हत्यायें की, जो लोग उसके विरोधी वने। उसने रायसिंह के लडके अभय सिंह और धौंकल सिंह को भी विप देकर मरवा डाला और उसने गजसिंह को जैसलमेर राज्य का उत्तराधिकारी घोपित किया। गजसिंह के चार भाई और थे। वे अपने प्राणों के भय से बीकानेर से चले गये। मूलराज के तीन लडके थे-रायसिंह, जैतसिंह और मानसिंह। रायसिंह आग में जलकर मर गया। जैतसिंह काना था और मानसिंह घोडे से गिरकर मर गया था। रायसिंह के दो लड़के थे, जो विप देकर मार दिये गये। जैतसिंह के एक लड़का था, महासिंह। यह काना था। मानसिंह के पाँच लड़के थे-तेजसिंह, देवीसिंह, गजसिंह, केशरी सिंह और फतेह सिंह । इनमें गजसिंह को छोड़कर शेप चारों लड़के राज्य से निर्वासित कर दिये गये थे। हिन्दु धर्म ग्रन्थों के अनुसार काने को राज सिंहासन का अधिकार नहीं मिलता। इस दशा मे गजसिंह ही उस गज्य का अव एक मात्र उत्तराधिकारी रह गया था। राजस्थान के जिन राज्यों मे मन्त्रियो का आधिपत्य रहा और राजा कठपुतली बनकर सिंहासन पर बैठे रहे, उन राजाओं को अधिक समय तक शासन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। कोटा राज्य के भूतपूर्व राजा ने भी अपने सिंहासन पर बैठकर पचास वर्ष से अधिक शासन किया था और रावल मूलराज ने जैसलमेर में अपने शासन के अट्ठावन वर्ष व्यतीत किये। उसके पिता का शासन चालीस वर्ष तक रहा था। रावल मूलराज के पितामह जसवंत सिंह के शासन काल में जैसलमेर के राज्य का विस्तार हुआ था। उत्तर की सीमा गाडा नदी तक और पश्चिम में पञ्चनद तक बढ़ी हुई थी। इसके पहले राज्य की इस सीमा का और भी अधिक विस्तार हुआ। जैसलमेर के दक्षिण मे घात राज्य है। पूर्वी सीमा के फलौदी, पोकर्ण और अनेक दूसरे नगर बीकानेर राज्य में चले गये हैं। भावलपुर राज्य आजकल एक स्वतंत्र राज्य बन गया है। परन्तु किसी समय वह जैसलमेर की राजधानी का एक भाग था। इस राज्य की राजनीतिक परिस्थितियाँ जितनी ही निर्वल होती गयीं और उसके सिंहासन पर बैठे हुए राजाओं ने जितनी ही अपनी अयोग्यता और कायरता का परिचय दिया, राज्य के उतने ही ग्राम और नगर उनके अधिकारो से निकल कर दूसरे राज्यों में चले गये। जैसलमेर की इस दुरवस्था का एकमात्र कारण यह था कि पतन के इन दिनो मे जो लोग उसके राज-सिंहासन पर बैठे, वे अयोग्य थे और उनमे शासन की शक्तियो का पूर्ण रूप से अभाव था। 52