पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/५१

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राज्य के दुर्गो पर आक्रमण किया और राज्य के तीन दुर्गो पर अधिकार कर लिया। इसके थोड़े दिनों के बाद सवाई सिंह की मृत्यु हो गयी। इसलिए अखय सिंह जेसलमेर के सिंहासन पर बैठा। रावल अखय सिंह ने सिंहासन पर बैठकर चालीस वर्ष तक राज्य किया। उसके शासन काल में दाऊद खॉ के लड़के भावल खाँ ने जैसलमेर राज्य के खडाल नगर पर आक्रमण किया और उसे अपने भावलपुर राज्य मे मिला लिया। रावल अखय सिंह के वाद सन् 1762 ईसवी में मूलराज राज्य के सिंहासन पर बैठा। उसके तीन वालक पैदा हुए- (1) रायसिंह (2) जैतसिंह और (3) मानसिंह। मूलराज जैसलमेर के सिंहासन पर बैठा। लेकिन वह इसके लिए योग्य न था। उसकी अयोग्यता के कारण उसके मंत्री स्वरूप सिंह ने सभी प्रकार से राज्य का सर्वनाश किया। स्वरूप सिंह जैन धर्मावलम्बी वैश्य था और वह मेहनता जाति में पैदा हुआ था। मंत्री स्वरूप सिंह अत्यन्त स्वेच्छाचारी और स्वार्थी था। उसने राज्य के सामन्तों के सम्मान की भी परवाह न की और राज्य में उसने अनेक प्रकार के अत्याचार किये। उसके कार्यों से राज्य में बहुत असंतोप पैदा हुआ। राज्यों के सामन्तों ने एक तरफ से उसका विरोध किया। परन्तु मूलराज पर इसका कोई प्रभाव न पडा। रावल मूलराज ने सिंहासन पर बैठने के बाद राज्य का कोई प्रवन्ध स्वयं न देखा इसीलिए मन्त्री स्वरूप सिंह को राज्य में मनमानी करने का अवसर मिला। मंत्री स्वरूप सिंह के सम्बन्ध में एक और भी घटना चल रही थी। वह एक वेश्या से प्रेम करता था और वह वेश्या सरदार सिंह नाम के राजपूत से प्रेम करती थी। इसलिए स्वरूप सिंह सरदार सिंह से बहुत ईर्ष्या करता था और अनेक उपायों से वह उसको क्षति पहुँचाने की चेष्टा करता था। मंत्री स्वरूप सिंह के द्वारा सरदार सिंह अनेक प्रकार की उलझनों का सामना कर चुका था। अंत में उसने अपनी विपदायें युवराज राय सिंह के सामने उपस्थित की। रायसिंह स्वयं मंत्री स्वरूप सिंह से वहुत अप्रसन्न था। इसलिए कि स्वरूप सिंह उससे खुश न रहता था। कुछ इस प्रकार के कारणों से स्वरूप सिंह ने रायसिंह के साथ भी अडंगे लगाये थे और युवराज को खर्च के लिए जो रुपये मिलते थे, मंत्री स्वरूप सिंह ने उनमें कमी कर दी थी। सरदार सिंह के प्रार्थना करने पर युवराज रायसिंह ने न केवल स्वरूपसिंह का विरोध करने के लिए निर्णय किया बल्कि उसके अपराधों का दण्ड देने के लिए उसने निश्चय कर लिया। एक दिन की बात है। मंत्री स्वरूप सिंह राज दरवार में बैठा था और रावल मूलराज भी वहाँ पर मौजूद था। राज्य के सामन्तों की उपस्थिति में युवराज रायसिंह वहाँ पहुँचा और उसने म्यांन से तलवार निकाली। यह देखते ही स्वरूप सिंह कॉप उठा, उसने उसी समय घवराये हुए नेत्रों से रावल मूलराज की तरफ देखा। इसी क्षण रायसिंह की तलवार से स्वरूप सिंह का मस्तक कटकर नीचे गिर गया। सामन्तों को मालूम था कि मंत्री स्वरूप सिंह के अत्याचारों का मूल कारण रावल मूलराज है। इसलिए दण्ड उसको भी मिलना चाहिए। वे लोग इस प्रकार सोच रहे थे कि उसी समय मूलराज भयभीत होकर वहाँ से भागा और रानियों के महलों में पहुँच गया। 45