पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/४१४

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25 नवम्बर-यहाँ से दस मील दूरी पर इन्दुवर नामक एक ग्राम है। वहाँ पर दो सौ घरों की आवादी है। उस गाँव के सभी कृपक जाट वंश के हैं। मैंने अभी तक इन जाटों के सम्बन्ध में बहुत कम लिखा है। जाट लोग स्वाभाविक रूप से परिश्रमी होते हैं। उनको स्वतन्त्रता प्रिय है। उनके शरीर मजबूत और बलवान होते हैं। जाट लोग कृषि कार्य को अधिक महत्व देते हैं। उनके शरीर का रंग प्रायः काला होता है। मारवाड़ के राजा ने सिन्ध के भूतपूर्व अधिकारी को उसकी जीविका के लिये यह इन्दुवर ग्राम दिया था। सिन्ध का वह अधिकारी कालोरा जाति का है और वह अपने को पारसी बतलाता है। बलोचिस्तान के नमूरी लोगों के साथ मिल जाने से उसके वंशवालों की संख्या अधिक हो गयी है। नमूरी लोग अपने आपको अफगानी कहते हैं। लेकिन वे लोग मध्य एशिया के रहने वाले जिट लोगों में से हैं। 26 नवम्बर-यहाँ से आठ मील की दूरी पर मेड़ता नामक एक स्थान है। एक चोड़ा मैदान पार करके हम लोग मेड़ता में पहुंचे। वहाँ से दक्षिण की तरफ लगभग पच्चीस मील की दूरी पर अरावली पर्वत के शिखर दिखायी पड़ते हैं। पश्चिम की तरफ बहुत ऊँची- नीची भूमि दूर तक चली गयी है। यहाँ की भूमि बहुत उपजाऊ है। लेकिन जल गहराई में होने के कारण उससे खेती के कार्य को कोई फायदा नहीं पहुँचता । जो खेत वस्ती के पास हैं, उनमें ज्वार, मक्का और तिल अधिक पैदा होता है। मेड़ता एक ऊँची भूमि पर वसा हुआ है। इसलिये देखने में वह रमणीक मालूम होता है। औरंगजेब वादशाह ने यहाँ के एक विशाल हिन्दू मन्दिर को नष्ट करके उस स्थान पर मस्जिद वनवाई थी। वह मस्जिद यहाँ के अन्य सभी हिन्दू मन्दिरों से ऊँची है। वादशाह औरंगजेब ने यहाँ पर जो मस्जिद बनवाई है, उसमें फारसी और हिन्दी में लिखवा कर पत्थर लगवाये गये हैं और उनके द्वारा इस वात की हिदायत दी गई है कि कोई भी इस मस्जिद में किसी प्रकार का अत्याचार न करे। लेकिन इस प्रकार के पत्थर किसी हिन्दू मन्दिर में लगे हुए हमें देखने को नहीं मिले। यहाँ के रहने वालों का कहना है कि मारवाड राज्य के लोभी धौंकल सिंह ने अत्याचारी पठानों की सहायता की थी और अमीर खाँ को प्रसन्न करने के लिए ही उसने इस प्रकार के पत्थर उस मस्जिद में लगवाये थे? धौकल सिंह को अपनी इस खुशामद का कोई फल न मिला। अमीर खाँ उसकी कमजोरी को समझता था। समय आने पर उसने धौंकल सिंह को वरवाद किया और भयानक रूप से उसकी सेना का उसने संहार किया। एक मतलबी और सिद्धान्तहीन मनुष्य का जिस प्रकार सर्वनाश होता है, ठीक उसी प्रकार धौंकल सिंह का विनाश हुआ। इस प्रकार की घटनाएँ पहले वर्णन की जा चुकी है। मण्डोर के राव दूधा ने मेड़ता को बसाया था और उसके लडके मालदेव ने मालकोट नाम का दुर्ग वनवाया था।* मेड़ता प्रदेश में तीन सौ साठ ग्राम शामिल थे। उन सबको मिला कर सम्पूर्ण मेड़ता प्रदेश मालदेव से उसके लड़के जयमल को मिला था। राठौर राजपूतों की मालदेव के सिवा राव दृधा के तीन लडके और थे। पहले लडके का नाम रायमल और दूसरे का नाम वीरसिह था, जिसने मालवा में अजमेरा नामक राज्य कायम किया था। वह राज्य अव तक उसके वंशजों के अधिकार है। राव दृधा के तीसरे लडके का नाम रलसिह था. जो मीराबाई का पिता था और मीराबाई मेवाड़ राच के प्रसिद्ध राणा कुम्भा को व्याही गई थी। इस प्रकार मान्नदेव को मिला कर राव दृधा के चार तड़के थे।

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