अध्याय-73 राजा अजीतसिंह की हत्या 19 नवम्बर-यहाँ से छ: मील की दूरी पर बसे हुए नान्दला स्थान के लिए हम लोग रवाना हुये। राजधानी छोड़ते ही हमको दो मील का रास्ता भयानक बालू से भरा हुआ मिला। इस रास्ते में चलने वालों को जो असुविधा और कठिनाई मालूम होती है, उसे भली प्रकार हम लोगों ने अनुभव की। राजधानी से दो मील तक निकल आने के बाद का रास्ता बदल गया। उसमें लाल रंग के पत्थर इस प्रकार उभरे हुए थे कि चलने मे यात्रियों को बालुकामय भूमि की अपेक्षा बहुत कुछ आराम मिलता था। लगभग आधा रास्ता हमने पानी और कीचड़ से भरा हुआ पार किया। यह पानी उस जलाशय से आता था, जिसको मारवाड़ के राजसिंहासन के अभिलाषी धौंकल सिंह की माता शिखावती ने बनवाया था। यह एक छोटा सा सरोवर था। रानी शिखावती के नाम से उसका नाम शेखावती तालाब रखा गया था। रानी शिखावती ने शेखावती तालाब के पास एक धर्मशाला बनवायी थी। उसमें उसने हनुमान जी की मूर्ति की प्रतिष्ठा कराई थी। वहाँ पर रानी के नाम का एक पत्थर लगा हुआ है। झालामन्ड से जोधपुर राजधानी जाते समय हमने जोगिनी नाम की नदी को पार किया था। वह नदी मण्डोर के करीब नागदा नदी के साथ मिल कर लूनी नदी में गिरती है। हम जहाँ पर पहुँचे थे, वहाँ पर हमने फिर नदी को पार किया। नदी के किनारे से कुछ दूरी पर कुछ कुए बने हुए हैं। उन्ही कुओं का पानी उस ग्राम के रहने वाले अपने काम में लाते हैं। वहाँ पर हमे दो कुए देखने को मिले। उनमें काफी जल है। लेकिन साफ नही है। उन कुओं की गहराई पृथ्वी की सतह से लगभग चार फुट है। नान्दल ग्राम में एक सौ पच्चीस घरो की आबादी है और यहाँ पर आहोर के सामन्त का अधिकार है। यहां पर एक सूखा तालाब भी है। उसमें जल बिलकुल नहीं है। उसके करीब कुछ स्मारक बने हुए हैं। मैंने उन स्मारको के पास जाकर देखा। जिसका जो स्मारक था, उस पर उसका नाम लिखा हुआ है। उन नामों से जाहिर होता है कि ये स्मारक प्रसिद्ध व्यक्तियों के नही हैं। फिर भी मैं उन स्मारकों को बडी देर तक देखता रहा। नान्दल से लगभग बारह मील की दूरी पर बीसलपुर नामक ग्राम है। यह रास्ता भी गहरी बालू से भरा हुआ है। एक ऊँची भूमि के ऊपर बीसलपुर ग्राम की बस्ती है। उस ग्राम मे जितने भी घर हैं, करीब-करीब एक से बने हुए है। घरों की दीवारों पर भूसी से मिली हुई मिट्टी ऐसे ढंग से लगी हुई है, जो देखने मे बड़ी अच्छी मालूम होती है। इन्दुरा ग्राम की तरह बीसलपुर भी मजबूत और कॉटेदार कोट से घिरा हुआ है। यहाँ की बहुत-सी बातों को देखने से मालूम होता है कि यह ग्राम पहले कभी एक अच्छा 405
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