किया करते थे। गुरुदेव के द्वारा सामन्तों के अधिकारों और सम्मान का जिस प्रकार विनाश हुआ था, उसे सामन्त लोग भली प्रकार समझते थे। इस प्रकार की दुरवस्था राज्य की बहुत दिनों तक चली और उसको मिटाने का साधन भी उसी के द्वारा उत्पन्न हुआ। गुरुदेव और उसके शिष्यों के अनाचारो के विरुद्ध राज्य के सामन्त पूर्ण रूप से विद्रोही थे। परन्तु राजा मानसिंह के कारण वे सोच-विचार में पड़े थे। आखिरकार एक ऐसा समय उपस्थित हुआ, जिसके कारण मारवाड़ राज्य की परिस्थितियाँ बदलीं। अभिमानी गुरुदेव अमीर खाँ की सेना के सैनिकों के द्वारा मारा गया। कुछ लोगों का विश्वास है कि राजा मानसिंह भी गुरुदेव के अत्याचारों से ऊबा हुआ था। लेकिन वह उससे बहुत दबा हुआ था, इसलिये उसके विरुद्ध कुछ करने का साहस न कर सकता था। जब गुरुदेव देवनाथ अमीर खाँ के सिपाहियों के द्वारा मारा गया तब लोगों की धारणा थी कि राजा मानसिंह ने उसको बचाने के लिए कुछ भी चेष्टा न की। इसी आधार पर लोगों का विश्वास है कि देवनाथ के मारे जाने में मानसिह का भी कुछ हाथ था। यह बात कहाँ तक सही है, उसके सम्बन्ध में कोई सही बात नहीं कही जा सकती। इसके रहस्य को सही तौर पर अमीर खॉ और राजा मानसिंह के सिवा तीसरा कोई नहीं जानता था। गुरुदेव के मारे जाने के बाद आश्चर्यजनक रूप से मारवाड़ की परिस्थितियो मे परिवर्तन आरम्भ हुआ। उस परिवर्तन में निमाज का सामन्त और उसके वंश के लोग भयानक रूप से मारे गये थे अर्थात् उन्हीं दिनों मे सुरतान पर आक्रमण किया गया था। उस आक्रमण में न केवल वह मारा गया था, बल्कि मारवाड़ के राजा मानसिंह ने राज्य के प्रधान सामन्तों को छिन्न-भिन्न करके जो भयानक परिस्थिति पैदा कर दी थी, उसका पहले से कभी किसी को अनुमान न था। इन दुर्घटनाओ के सम्बन्ध में यहाँ पर कुछ प्रकाश डालना जरूरी मालूम होता है। सन् 1804 ईसवी में जालौर से जोधपुर आने पर मानसिंह का राज्याभिषेक हुआ था। मानसिंह से पहले राजा भीमसिंह सिहासन पर बैठा था। राजा भीमसिंह जब मरा था तो उसकी रानी गर्भवती थी। विधवा हो जाने के बाद अपने गर्भवती होने का जिक्र उसने किसी से नहीं किया और उसने पूर्ण रूप से उसे छिपाकर रखा। समय आने पर उससे जो बालक पैदा हुआ, उसे पोकरण के सामन्त सवाई सिह के पास भेज दिया गया। दो वर्ष तक बालक के सबध मे किसी को कुछ न मालूम हुआ। उसके बाद राज्य के सामन्तों को मालूम हुआ कि भीमसिह की रानी से जो बालक पैदा हुआ है, वह दो वर्ष का हो चुका है। इसलिए उन लोगों ने प्रसन्न होकर और राजा मानसिंह के पास जाकर, उस बालक धौंकल सिंह का परिचय देते हुए कहा। "मारवाड का उत्तराधिकारी बालक धौंकल सिंह है। इसलिये नगर का राज्य और अधीन प्रदेश आप उसे दे दीजिए।" राजा मानसिंह को सामन्तों की यह बात अच्छी न लगी परन्तु उसने अपने मन के भावों को छिपाकर कहाः 'अगर बालक धौंकल सिंह भीमसिंह से पैदा हुआ है और बालक की माँ इस बात को स्वीकार करती है तो मैं आप लोगों के इस अनुरोध को जरूर मन्जूर करूँगा।" 386
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