अध्याय-72 मारवाड़ राज्य व जोधपुर की यात्रा लूनी नदी को पार करने के बाद हम लोग बालू के मैदानों में पहुँच गये और वहाँ से जहाँ तक नजर जाती, बालू के मैदान दिखाई देते। हम लोग जितना ही मरुभूमि की राजधानी के करीब पहुँचते गये, बालू के मैदानों का कष्ट उतना ही हम लोगों के लिए भयानक होता गया। यहाँ पर मैंने एक बात और अनुभव की। हमारे राज्य के लोग गंगा के निकटवर्ती अच्छे भाग में जितनी तेजी के साथ चलते रहे, उतनी ही तेजी के साथ मारवाड़ के लोग इन बालू के मैदानों में चलते हुए दिखाई देते हैं। इसका अर्थ यह है कि यहाँ के लोग इन बालुकामय मार्गो में चलने के अभ्यासी हैं। इसलिए हम लोगों की तरह इन लोगों को इन रेतीले मैदानों में चलने में कष्ट नहीं होता। राव जोधा का बसाया हुआ जोधपुर कैसा है? इसको देखने और जानने के लिए मेरे मन में उत्सुकता बढ़ रही थी और उसके कारण मैं रेतीले मैदानों में चलने का कष्ट कुछ भूल भी जाता था। वहाँ का दुर्ग चारों ओर घिरे हुए पहाड़ी शिखरों के बीच में बना हुआ है और जिस स्थान पर वह दुर्ग बना है, वहाँ की भूमि बहुत कुछ एक-सी और बराबर है। वह दुर्ग अपने आस-पास के सभी स्थानों से ऊँचा और मजबूत है। दूर से देखने में वह बड़ा अच्छा मालूम होता है। दुर्ग का स्थान तीन सौ फुट से अधिक ऊँचा नहीं है। इसलिए इस दुर्ग की गणना उन दुर्गों में नहीं की जा सकती, जो पहाड़ों के ऊपर बने होते हैं। परन्तु इस दुर्ग की इतनी ऊँचाई में भी विशेषता है। इसलिए कि यह दुर्ग मरुभूमि की रेतीली भूमि में बना हुआ है। दुर्ग के दक्षिण की तरफ उसके सबसे ऊँचे स्थान पर राजधानी है और उत्तर की तरफ जो सबसे ऊँचा स्थान है, उस पर राजमहल बना हुआ है। राजधानी का स्थान चारों तरफ ढालू बना हुआ है। कहा जाता है कि सन् 1706 ईसवी में जब कई एक सेनाओं ने यहाँ आक्रमण किया था, तो उन शत्रुओं के द्वारा जहाँ पर गोले बरसाये गये थे, वह स्थान नष्ट होकर टेढ़ा हो गया है और उसकी ऊँचाई लगभग एक सौ फुट ऊँची ही रह गयी है। राजधानी में राजमहल बहुत मजबूत और देखने में सुन्दर बना हुआ है। वहाँ के बुों की श्रेणियाँ दूर तक चली गयी हैं और वे बुर्ज गोल और चौकोने बने हुए हैं। राजधानी का व्यास लगभग आधा मील लम्बा है। दुर्ग में ऊपर जो रास्ता जाता है, उसमें बहुत सी दीवारें और दरवाजे हैं। पत्थर से बने हुए प्रत्येक परकोटे पर अलग-अलग सैनिकों का पहरा रहता है। वहाँ ऊपर दो जलाशय हैं। उनमें एक का नाम रानी सरोवर और दूसरे जलाशय का नाम गुलाब सागर है। गुलाब सागर दक्षिण की तरफ है। दुर्ग में जो सैनिक रहते हैं वे अपनी 379
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