पोकरण के सामन्त का नाम सालिम सिंह है। वह मारवाड़ के सामन्तों में सबसे अधिक धनी है। उसकी जागीर का इलाका और दुर्ग मरुभूमि के बीच में है। उसका इलाका जैसलमेर के राज्य से अलग कर दिया गया है। उसका दुर्ग बहुत मजबूत है। पोकरण के सामन्त के कारण मारवाड़ का राजसिंहासन कई वार संकटों में पड़ चुका है। उसके वंश के चार व्यक्तियों ने मारवाड़ के अत्यन्त साहसी राजाओं को भी भयभीत कर दिया था। सामन्त सालिम सिंह का परदादा देवीसिंह कुम्पावत वंश का प्रधान था और वह पाँच सौ शूरवीर राजपूतों के साथ प्रत्येक समय रहा करता था। वह अभिमानपूर्वक अपने राजा से कहा करता था : "मारवाड़ का राज सिंहासन मेरी तलवार मे है।" देवीसिंह के लड़के सवल सिंह ने अपने पिता का अनुकरण किया और मारवाड़ के राजा विजय सिंह को सिंहासन से उतार दिया। सवल सिंह के लड़के और उत्तराधिकारी सवाई सिंह ने राजा भीमसिंह के साथ व्यवहार करने में अपने पिता का अनुसरण किया और सन् 1806 के आरम्भ में धाकल सिंह को मारवाड के सिंहासन पर विठाने की कोशिश की। नागौर नामक स्थान पर अमीर खाँ ने कुम्पावत वंश के राजपूतों के प्रधान सवाई सिंह के साथ विश्वासघात किया था और उसने उसके समस्त अनुचरों के साथ-साथ उसको भी जान से मार डाला था। राजा मानसिंह ने उस दुराचारी से अपने वंश की रक्षा की और सवाई सिंह के लडके को अपने राज्य के कर्मचारियो में प्रधान का पद देकर उसका सम्मान किया। उसने अपने व्यवहारों से उसको प्रसन्न करके सभी प्रकार से अपने अनुकूल बना लिया। सामन्त की यह बुद्धिमानी थी। अगर वह ऐसा न करता तो उसके सर्वनाश के साथ-साथ उसकी जागीर पोकरण का भी विनाश हो जाता। पोकरण के सामन्त सालिमसिंह का संक्षेप में इतना ही जीवन चरित्र है, जिसका यहाँ पर उल्लेख करना जरूरी था। इस समय उसकी अवस्था करीव पैंतीस वर्प की है। वह देखने में सुन्दर नहीं है। लेकिन साहसी, शूरवीर और स्वभाव का गम्भीर है। उसका शरीर कद मे लम्बा और शक्तिशाली है, उसके शरीर की बनावट सुदृढ़ होने के साथ-साथ अच्छी है। लेकिन मारवाड़ के अन्य सामन्तों की तरह उसके शरीर का रंग गोरा नहीं है। निमाज का सामंत सुरतान सिंह पोकरण के सामन्त सालिम सिंह का मित्र है। लेकिन उसके शरीर की वनावट और दूसरी चीजे मालिम सिह से भिन्न हैं। सुरतान सिंह ऊदावत शाखा के राजपूतों का प्रधान है और अरावली पहाड़ के समीपवर्ती स्थानों मे रहने वाले चार हजार शूरवीर उसके अधिकार में हैं। उसकी जागीर में निमाज, रायपुर और चन्डावत प्रधान नगर हैं। सुरतान सिंह के जीवन की अनेक बाते बहुत अच्छी हैं। उसके शरीर का कद लम्बा और उसकी बनावट सुगठित है, रंग गोरा है। देखने मे वह वीरोचित और विनम्र मालूम है। उसकी बुद्धिमत्ता और सभ्यता में किसी को सन्देह नहीं हो सकता। सुरतान सिह सालिम सिंह का मित्र था और इस मित्रता के कारण ही सुरतान सिंह पर अनेक प्रकार की विपदाये आयी थीं। उन विपदाओं का यहाँ पर उल्लेख न तो सम्भव है और न वह बहुत आवश्यक मालूम होता है। यहाँ पर केवल इतना ही समझ लेने की आवश्यकता है कि वह अपने मित्रो का सहयोगी होने के कारण जीवन के भयानक संकटो में पड़ गया था। होता - 376
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