पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/३५७

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में प्रधान थे। अनूप का विवाह भी एक मीणा कुमारी के साथ हुआ, उसके बुडा नामक एक लडका पैदा हुआ। वुडा के वश वाले अपने पूर्वजों की रीति-नीति पर बराबर चलते रहे। बुडार, वाहिर बाडा और मन्दिला इत्यादि नगरों में वे लोग रहा करते थे। इन मीणा लोगों के वंश का सम्बन्ध राजपूतों के साथ था लेकिन इनके चरित्र मे राजपूतो जैसे गुण नहीं थे। वे लोग चरित्रहीनता और लूटमारी के लिए बहुत पहले से कुख्यात थे। चन्द कवि ने अपने ग्रन्थ में लिखा है कि अजमेर के राजा विशाल देव ने इन मीणा जाति के लोगों का भयानक रूप से दमन किया था। उस दमन के परिणामस्वरूप उन लोगों को अजमेर की सड़कों पर पानी छिडकने का काम करना पड़ा। इन घटनाओं से मालूम होता है कि इस जाति के लोग बहुत पहले से अत्याचारी और लुटेरे थे। मीणा जाति के राजा की शक्तियाँ जब निर्बल हो गयी थी और उसका डर मीना लोगों को न रहा तो उसके बाद मीणा जाति के लोग मनमाने अत्याचार करने लगे। अजमेर के चौहानों के साथ जब मण्डोर के परिहारों का युद्ध हुआ था, उस समय मण्डोर राजा की तरफ से चार हजार माहीर लोग धनुप-बाण लेकर युद्ध मे गये थे। इसका वर्णन चन्द कवि ने अपने ग्रन्थ में किया है। उसने लिखा है कि मण्डोर के राजा ने उन माहिर लोगों को पहाड़ी रास्ते की रक्षा करने के लिए युद्ध के समय नियुक्त किया था। मण्डोर का राजा माहीर अथवा मीणा लोगों की बहादुरी को भली प्रकार जानता था। उसे इस बात का विश्वास था कि ये लोग अपनी भयानक शक्तियो का प्रमाण देगे। चौहानों को समाचार मिला कि मण्डोर के राजा की तरफ से पहाड़ी रास्ते की रक्षा के लिए मीणा लोग नियुक्त किये गये हैं । उनको पराजित करना आसान नहीं है। चौहानों को यह सुनकर बडा क्रोध मालूम हुआ और मीणा लोगों को पराजित करने के लिए शूरवीर काना को भेजा गया। साहसी काना अपनी सेना के साथ पहाड़ की उस दिशा की तरफ रवाना हुआ, जिस तरफ चार हजार मीणा लोग युद्ध के लिए तैयार खड़े थे। दोनो तरफ से युद्ध आरम्भ हुआ और बहादुर मीणों के बाणों से राजपूतों के सैनिक जख्मी होकर गिरने लगे। यह दशा कुछ देर तक बराबर चलती रही। मीणा लोग अपने बाणों से मार करने में जिस प्रकार प्रसिद्ध थे, वह किसी से छिपा न था। मीणा लोगो की मार देखकर शूरवीर काना अपने घोडे से उतर पड़ा और उसने शत्रुओं के साथ तलवार की लड़ाई आरम्भ कर दी। यह देखकर मीणा जाति के सरदार ने युद्ध में धनुप-बाण छोड़कर अपनी तलवार का प्रयोग किया और उसकी मार से काना एक बार विचलित हो उठा। इस समय दोनो तरफ से भीपण मार-काट हो रही थी। मीणा सरदार के आक्रमण को देखकर साहसी काना आगे बढ़ा और मीणा सरदार को मार कर उसने जमीन पर गिरा दिया। उसके गिरते ही एक मीणा शूरवीर आगे बढ़ा और अपने सरदार का बदला लेने के लिए उसने काना पर जोर का आक्रमण किया। मीणा सरदार के मारे जाने पर राजपूतों का उत्साह बढ गया था। उस समय वे लोग अपनी भयानक शक्तियो का प्रदर्शन करते हुए आगे बढे । उस समय राजपूतो में उत्साह की वृद्धि हो रही थी। हाथियो के चिंघाडने और घोडो के हिनहिनाने की आवाजों से युद्ध का वह सम्पूर्ण स्थल गूंज उठा। उस समय राजपूतो के सामने 351