पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/३४६

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महाराजा दौलत सिंह में अनेक प्रकार के गुण थे। उमका स्वभाव सरल और मव को प्रसन्न करने वाला था। वह चरित्रवान था और सभी लोग उसे ईमानदार समझते थे। वह बहुत कम बाते करता था। उसके स्वभाव मे जरा भी अहंकार न था। अपनं इन गुणों के कारण उसने कमलमीर का शासन प्राप्त किया था। सन् 1818 ईसवी के फरवरी महीने में मैंने कमलमीर के दुर्ग में रहने वाली सेना का वकाया वेतन अदा करके उस दुर्ग पर अधिकार कर लिया था। उस सेना के सैनिको की भावना को देखकर मेने कितनी ही वाते उस समय सोच डाली। अगर उन दिनो में उस सेना के सैनिकों का वेतन बाकी न होता और मैंने उनका बकाया वेतन अदा न कर दिया होता तो कमलमीर के दुगं पर हम लोगों के अधिकार करने का कोई मौका ही पैदा न होता। उन सैनिकों की दशा को देखकर मुझे अफसोस हुआ और उसके साथ आश्चर्य भी। एक सैनिक का उद्देश्य रुपये तक ही सीमित नहीं होता। किसी भी देश मे उसके सैनिको का महत्त्व इसलिए सबसे अधिक होता है कि वे लोग अपने देश की आजादी की रक्षा के लिए बलिदान होने के लिए हमेशा तैयार होते हैं। वेतन लेकर देश की रक्षा करने का कार्य बहुत अधिक महत्त्व नहीं रखता। अगर उनके जीवन का उद्देश्य रुपयों तक ही सीमित रहता है तो उन सैनिकों में और देश के बाकी लोगो मे अन्तर ही क्या रह जाता है। यह यात माधारण नहीं है। कमलमीर के दुर्ग के सैनिकों को देखकर मुझे कम आश्चर्य नहीं हुआ। उन लोगों ने वेतन के रुपयों को अधिक महत्त्व दिया और उनके दुर्ग की स्वतन्त्रता का कोई महत्त्व उनके निकट न रहा। उनको जो वेतन दे, वही उनका स्वामी है और उनके वेतन के रुपये जो अदा करे, वही कमलमीर का राजा अथवा अधिकारी है। यह मनोवृत्ति सैनिकों की बहुत सकीर्ण है और किसी भी देश के लिए इस प्रकार की मनोवृत्ति वांछनीय नहीं हो सकती। दूसरे दिन प्रात:काल हम सब लोग वहाँ के टूटे-फूटे और पुराने मन्दिरो में बैठे हुए जल पान कर रहे थे, मैंने देखा कि उस दुर्ग की सेना पश्चिमी पहाडी रास्ते से निकलकर जा रही है। मैं उस समय सेना की तरफ कुछ देर तक बरावर देखता रहा। हमारे साथ की सेना ने उस दुर्ग पर एक सप्ताह तक अधिकार रखा। उसके बाद राणा की सेना वहाँ पर आयी। उसके आने पर उम दुर्ग का अधिकार राणा की उम सेना को सौंप दिया गया। ____ वहाँ पर आठ दिनों तक लगातार रहकर मैं अपना काम करता रहा। वहाँ पर मुझे बहुत से ऐसे स्तम्भ मिले, जिनमे खुदे हुए प्राचीनकाल के विवरण मेरे बड़े काम के थे। मैं उन सब का संकलन आठ दिनों तक बराबर करता रहा और उस कार्य में इतने दिन कैसे बीत गये, मुझे ये बिल्कुल न जान पडा। ___कमलमीर और उसका दुर्ग अनेक प्रकार की विशेपता रखता है। उसके सम्बन्ध में यहाँ पर कुछ लिखना आवश्यक जान पडता है। दुर्ग के आस-पास लोहे की तरह एक ऐसी मजबूत दीवार है, जो काफी ऊँची हे और जिसको तोड़ सकना आसान नहीं है। दुर्ग के भीतर मे बाणो की वर्षा करने के लिए उस दीवार मे बहुत-से ऐसे सुराख हैं, जिनका फायदा आक्रमणकारी शत्रु नहीं उठा सकता। वह दीवार अत्यन्त मजबूत पत्थरो से बनी हुई है। गोलों की वर्षा करने के लिए भी दीवार मे कई प्रकार के सुभीते हैं, जिनका लाभ पूरे तौर पर दुर्ग की सेना उठा सकती है। 340