पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/३४२

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समय वहाँ पहुँचने के लिए रवाना हुए थे। लेकिन रास्ते में ही शाम हो गयी। मार्ग में फतह नामक हमारा एक हाथी पानी में गिर गया। महावत की गलती से हाथी पानी में गिरा था। हाथी इतना बुद्धिमान होता है कि चलते हुए वह अपने पैर से मार्ग में किसी संकट की सूचना पाता है तो हाथी अपने शेप तीन पैरों से अपने आपको सम्हाल लेता है। फतह ने भी ऐसा ही किया था परन्तु महावत ने उसके संकेत पर ध्यान नहीं दिया। उस फतेह नामक हाथी को पन्द्रह सेर आटे की रोटियाँ रोजाना शाम को दी जाती थीं। पिछली शाम को ये रोटियाँ उस हाथी को नहीं दी गयी थीं। इसलिए हाथी अपने महावत से बहुत नाराज था। उसकी यही अप्रसन्नता उसके पानी में गिरने का कारण हो गयी। उसको उठाने के लिए जो उपाय सम्भव हो सकते थे, सब किये गये। कुछ देर में हाथी उठकर खड़ा हो गया। वह शाम से ही नाराज तो था ही। खड़े होते ही उसने पीठ हिलाई, जिससे उसकी पीठ की सभी चीजें पानी में गिर गयीं। हम लोग बनास नदी को पार करके आगे की तरफ चले। नदी का जल गहरा और काँच के समान साफ दिखाई देता है। उसके किनारे की ऊँची भूमि पर बहुत-सी घास दिखायी दे रही है। नदी के किनारे की हरी-हरी घास से लदे हुए ये कगार देखने में बड़े मनोहर मालूम होते हैं। इस नदी के सम्बन्ध में एक जनश्रुति बहुत प्रसिद्ध है। लोग कहा करते हैं कि मुसलमानों के आने के पहले बनास नदी की देवी जल के भीतर से अपने हाथ बाहर निकाला करती थी। उस समय यहाँ के रहने वाले उसके हाथों मे नारियल दे देते थे। मुसलमानों के आने के बाद एक बार देवी ने सदा की भॉति अपने हाथों को निकाला। उस समय एक यवन ने उसके हाथो में नारियल देने के बदले मिट्टी का एक ढेला दे दिया। उस समय से देवी अब अपना हाथ नहीं निकालती। हम सब लोग लगभग आधी रात के समय अपने अभीष्ट स्थान पर पहुँच गये। परन्तु छूटे हुए आदमी अभी तक हमारे पास नहीं पहुंचे थे। इसलिए 17 अक्टूबर को उसी स्थान पर रुककर हमे उनका रास्ता देखना पड़ा। असुरवास एक सम्पन्न और समृद्धशाली ग्राम है। लेकिन वहाँ के निवासियो की संख्या अब पहले की अपेक्षा बहुत कम हो गयी है। चारण कवि के एक संगीत से प्रसन्न होकर राणा भीम ने यह ग्राम उसको दे दिया था। जिस स्थान पर हमने मुकाम किया था, उसके पास ही एक सन्यासी का आश्रम है। वह सन्यासी मुझसे मिलने के लिए मेरे पास आया और उसके बाद मैं भी उसके पास गया। सन्यासी लोग आम तौर पर भ्रमण किया करते हैं। मेरे पड़ौस का सन्यासी भी भ्रमणशील होने के कारण समझदार और व्यवहार कुशल हो गया था। अन्याय सन्यासियो की तरह यह सन्यासी भी गेरूए रंग के वस्त्र पहनता था, उसकी पगडी के ऊपर कमलगट्टे की बनी हुई माला लगी हुई थी। उसी तरह की एक दूसरी माला उसके हाथ में थी, जिससे वह अपने इष्टदेव का भजन कर रहा था। ___ उस सन्यासी ने बाते करते हुए अंग्रेजी शासन की मुझसे प्रशंसा की और कहा कि अग्रेजो की शक्ति दूसरे सभी आदमियों की अपेक्षा प्रबल होती है। उसकी इन बातो को सुनकर 336