पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/३१०

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अध्याय-69 अंग्रेजी सरकार और कोटा-राज्य अब हम कोटा राज्य के उस इतिहास में प्रवेश करते है, जब अंग्रेज सरकार और वहाँ के राजा में सन्धि हुई थी। सन् 1817 ईसवी में मारक्विस ऑफ हेस्टिंग्स ने पिण्डारी लोगों के विरुद्ध युद्ध की घोषणा की थी और राजस्थान के राजाओं को सहयोग देने के लिए आमन्त्रित किया था। उस समय यह भी जाहिर कर दिया था कि जो राजा तटस्थ रहेंगे और उन लुटेरो तथा सर्वनाश करने वालों को परास्त करने मे हमारा साथ नही देगे, जिनसे वे स्वयं पीड़ित हैं तो वे हमारे विरोधी समझे जायेंगे। जो राजपूत राजा एक ऐसी शक्ति की प्रतिष्ठा करना चाहते है, जो लुटेरों के अत्याचारों को वन्द कर सके और जिनसे सभी को आवश्यकता पड़ने पर सहायता मिल सके, उनको राजस्थान के इस महान संघर्ष कार्य में सहयोग देने के लिए सम्मानपूर्वक आमन्त्रित किया जाता है। हमारी सहायता और रक्षा के मूल्य में उनको अपने राज्य की आमदनी का एक भाग देना पड़ेगा। ___हेस्टिग्स की इस प्रकार घोपणा होने पर दूरदर्शी जालिम सिंह ने समझ लिया कि अंग्रेज सरकार के साथ सहयोग करना आवश्यक है। इसीलिए उसके प्रतिनिधि ने उसके साथ परामर्श करके अंग्रेज सरकार के साथ सहयोग स्थापित किया और सबसे पहले उसने हमारे साथ मित्रता करना स्वीकार किया। इस सहयोग और मित्रता का सूत्रपात कोटा राज्य से हुआ और उसके बाद राजस्थान के सभी राजाओं ने उसे स्वीकार करके लुटेरों को सदा के लिए नष्ट कर देने का निश्चय किया। इसके सम्बन्ध में हाड़ौती की राज्य सीमा पर सबसे पहले संघर्ष होने की सम्भावना हुई। इसलिए जालिम सिंह के पास अंग्रेज सरकार के प्रतिनिधि का पहुँच जाना उस समय अनिवार्य हो गया। उस समय सिंधीया के दरबार मे असिस्टेन्ड रेजीडेन्ट था। लार्ड हेस्टिंग्स ने मुझे राज राणा जालिम सिंह के पास भेजा। 12 नवम्बर, सन् 1817 ईसवी को मैं ग्वालियर से रवाना हुआ और कोटा से पच्चीस मील दूर जालिम सिंह की छावनी रेवता में 23 नवम्बर को पहुँच कर मैंने युद्ध के लिए सभी प्रकार की तैयारी करवा दी, जिससे शत्रु के आक्रमण करने पर परास्त करके उसे भगाया जा सके। ___ मेरे कोटा पहुँचने पर पांच दिनों के भीतर युद्ध की सभी तैयारियाँ इतनी तेजी के साथ हुई कि शत्रु के द्वारा आक्रमण हो सकने के प्रयत्न मार्ग पर सैनिक रोक लगा दी गयी। इसके बाद चार तोपो के साथ पन्द्रह सौ सैनिकों का एक दल सेनापति सर जॉन मालकम के पास पहुँचने के लिए रवाना हुआ। उसने इस छोटी-सी सेना के साथ नर्वदा नदी को पार किया और वह उत्तर की तरफ आगे बढ़ा। 304