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का आदर वहुत कम होता है। कोई सत्य वात सुनना नहीं चाहता। यदि आप पसन्द करते हैं तो मैं आपको सुनाता हूँ।" कवि ने यह कह कर जालिम सिंह से अपराध के लिए क्षमा की प्रार्थना की और उसने जालिम सिंह के चरित्र के सम्बन्ध में सत्य घटनाओं को लेकर कविता को सुनाना आरम्भ किया। उसे सुनकर जालिम सिंह अत्यन्त क्रोधित हुआ और उसने कवि के अधिकार की समस्त पैतृक भूमि जब्त कर ली और उसके बाद उसने किसी भी कवि को अपने यहाँ आने से मना कर दिया। राजस्थान के राजा हिन्दू धर्म के अनुसार ब्राह्मणों का अधिक सम्मान करते हैं और उनके अपराध करने पर भी उनको दण्ड देने का साहस नहीं करते। परन्तु जालिम सिंह के मनोभाव हिन्दू धर्म का समर्थन करने पर भी इससे भिन्न थे। उसने अपराध करने पर ब्राह्मणों के साथ कभी दया नहीं की। उसके राज्य में जब कोई ब्राह्मण राजनीतिक अपराध करता था, तो जालिम सिंह दूसरे लोगों की तरह उसको भी दण्ड देता था। जालिम सिंह कोटा का राजा नहीं था। लेकिन राजा गुमानसिंह के मरने पर और उसके वालक उम्मेदसिंह के सिंहासन का अधिकारी होने पर जालिम सिंह-जो पहले उस राज्य का सेनापति था-बालक उम्मेदसिंह का संरक्षक बना दिया गया था। इस प्रकार वह राजा का एक प्रतिनिधि था। राजा गुमान सिंह के अन्तिम दिनो में कोटा राज्य की सीमा बहुत सीमित थी लेकिन जालिम सिह ने कितने ही नगरों और ग्रामों को मिलाकर उस राज्य की सीमा का विस्तार कर लिया था। एक प्रतिनिधि की हैसियत से जब उसने कोटा का शासन पाया, उस समय राज्य का खजाना सम्पत्ति से विल्कुल खाली था और राज्य पर बाईस लाख रुपये ऋण था। उन दिनों में राज्य के दुर्ग टूटे-फूटे थे और राज्य की सेना बहुत निर्वल थी। जालिम सिंह ने बहुत-सा धन खर्च करके बहुत-से टूटे-फूटे दुर्गो की मरम्मत करायी और उनमें आवश्यकता के अनुसार युद्ध के अस्त्र-शस्त्र एकत्रित किये राज्य की चार हजार अश्वारोही सेना के स्थान पर बीस हजार सैनिकों की सेना कर दी और इतनी विशाल सेना को युद्ध की अच्छी शिक्षा दी। उसने अपने अधिकार मे एक सी तोपें रखीं। राज्य के सामन्तों की अधीनता में जो सेनायें थीं, वे उसकी सेना के अतिरिक्त थीं। इतना सब होने पर भी कोटा राज्य का शासन क्या प्रशंसनीय कहा जा सकता है? राजा गुमान सिंह ने क्या यही करने के लिए जालिम सिंह को उम्मेद सिंह का सरक्षक और प्रतिनिधि बनाया था? बीस हजार सैनिकों की शक्तिशाली सेना रखकर क्या जालिम सिंह ने कोटा राज्य के हाड़ा राजपूतों की मर्यादा को बढ़ाया? क्या इसी को शासन कहते हैं? क्या इसी प्रकार का शासन राज्य की प्रजा में सुख और सन्तोप उत्पन्न करता हैं? संसार के उन्नत देश क्या इसी को राज्य की महानता कहेंगे? जालिम सिंह ने राज्य मे करो की भरमार करके क्या राज्य की प्रजा का कल्याण किया था? खेती के सम्बन्ध में उसकी नीति से किसानो की कमी अधोगति हो गयी थी। हम इस बात को मानते हैं कि कुछ समय के लिए जालिम सिंह की नीति और व्यवस्था कोटा राज्य के लिए आवश्यक कही जा सकती है। न केवल उसके मिले हुए अधिकारों की रक्षा करने के लिए बल्कि आक्रमणकारियो की लूटमार से राज्य की प्रजा 295