पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/२९८

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जो बैल शक्तिशाली समझे जाते थे, जालिम सिंह ने वहाँ से भी बैल खरीदकर मँगवाये थे। परन्तु कोटा की भूमि में वे उपयोगी साबित नहीं हुए, इसलिए वे बेच दिये गये। कोटा राज्य की भूमि मे एक वर्ष मे दो बार खेती होती है और एक हल से सौ बीघा मि पर खेती की जा सकती है। इस प्रकार चार हजार हलो से एक बार मे चार लाख बीघा की खेती की जा सकती है और दोनो फसलों मे आठ लाख बीघा की खेती हो जाती है, जो नंग्रेजी हिसाब से तीन लाख एकड भूमि की होती है। जिस भूमि में एक बीघा मे सात मन से कम गेहूँ और बाजरा पैदा होता है तो उस मिट्टी को अच्छा नहीं समझा जाता। इस हिसाब से प्रति बीघा चार मन की पैदावार मान ली जाये तो आठ लाख बीघा मे बत्तीस लाख मन गेहूँ और बाजरा पैदा हो सकता है। जालिम सिंह को केवल खेती की पैदावार से बत्तीस लाख रुपये से कम की आमदनी नही होती थी। इस खेती के कार्य में जालिम सिंह को जो खर्च करना पडता था, वह इस प्रकार है : पशुओ के आहार और किसानो के वेतन आदि में चार लाख रुपये बीज खरीदने में छ: लाख रुपये पशुओं को खरीदने में अस्मी हजार रुपये फुटकर खर्च बीस हजार रुपये सब ग्यारह लाख रुपये इस हिसाब से साफ प्रकट होता है कि जालिम सिह को खेती से जितनी आमदनी होती थी, खर्च उसका लगभग एक तिहाई होता था। कोटा राज्य में अनाज रखने के लिए बहुत अच्छी व्यवस्था है। उसके लिए ऊँची जमीन पर खत्ती बनाई जाती है और उन खत्तियों मे नीचे घास और भूसा रखा जाता है और उसके ऊपर बहुत मोटी मिट्टी की तह लगाकर इस प्रकार मजबूत कर दिया जाता है कि अधिक से अधिक वर्षा के होने पर भी खत्तियो के अनाज को किसी प्रकार हानि न पहुँच सके। इस तरह वहाँ की खत्तियो मे जो अनाज रखा जाता है, वह कई-कई वर्षों के बाद भी खराब नहीं होता। जालिम सिंह अपने अधिकार मे बहुत-सा अनाज सुरक्षित रखता है और अकाल के पडने अथवा किसी प्रकार अनाज मॅहगा होने पर उसका वह सुरक्षित अनाज बाहर निकाला जाता है और समय के अनुसार काफी मॅहगा बेचा जाता है। अकाल अथवा किसी दूसरे कारण से फसल के खराब होने पर जालिम सिंह एक-एक वर्ष में साठ-साठ लाख मन तक अनाज बेचा करता है और उन दिनों मे उसकी ये सुरक्षित खत्तियाँ सोने की खानों के रूप में हो जाती हैं। सन् 1804 ईसवी मे मराठा सेनापति होलकर ने भरतपुर राज्य और राजस्थान के दूसरे हिस्सो में भयानक रूप से लूट की थी। उसने आक्रमण से चारों तरफ की खेती बहुतकुछ नष्ट हो गयी थी और एक अकाल-सा पडा था। उस समय कोटा-राज्य के अनाज से वहाँ के पीडित राज्यो को बडी सहायता मिली थी और जालिमसिह ने अपना सुरक्षित अनाज बेचकर एक करोड रुपये वसूल किये थे। 292