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अध्याय-67 जालिम सिंह का प्रशासन जालिम सिंह के शासनकाल में कोटा राज्य के किसानों की जो शोचनीय अवस्था हो गयी थी, उसका वर्णन पिछले परिच्छेद में किया जा चुका है। उसमें लिखा जा चुका है कि खेती की दुरवस्था को जानने और समझने के बाद जालिम सिंह ने राज्य के पुराने नियमों को हटाकर एक नयी व्यवस्था कायम की थी और उसके द्वारा राज्य के पटेलों को नियन्त्रण में लाकर उसने किसानों को सुभीता देने की चेष्टा की थी। परन्तु पटेलों को कूटनीति के कारण जालिम सिंह को अपनी नवीन व्यवस्था में सफलता न मिली और उसे अपनी कायम की हुई व्यवस्था को तोड़कर राज्य के नये नियमों का फिर से उसको आश्रय लेना पड़ा। यह सब पिछले परिच्छेद में लिखा जा चुका है। कोटा राज्य में नयी व्यवस्था चाल होने पर वहाँ के किसानों को इस बात का विश्वास हो गया था कि हम लोगों के साथ पटेलों के अन्याय न होंगे और हमारे जीवन की अधोगति शीघ्र ही दूर हो जाएगी। वहाँ के किसानों का उस समय ऐसा सोचना स्वाभाविक ही था। क्योंकि उनको इस बात का ज्ञान न था कि पटेल लोग अपनी कूटनीति से इस नयी व्यवस्था को पहले से भी भयानक कर देंगे। इसलिए उन्होंने पुराने नियमों के हटने पर अच्छे दिनों का सपना देखा था। पटेलों को नियन्त्रण में लाकर जालिम सिंह ने जब नयी व्यवस्था चालू की तो कुछ दिनों तक खेती की दशा अच्छी रही और सम्पूर्ण राज्य में लहराती हुई खेती को देखकर कोई भी बाहर का मनुष्य कोटा राज्य के किसानों की अच्छी दशा का अनुमान लगा सकता था। लेकिन एक बाहरी आदमी को इस बात का कैसे ज्ञान होता कि इन लहराते हुए हरे-भरे खेतों की समस्त पैदावार भूमि का प्रबन्ध करने वाले पटेलों के घरों में चली जाएगी और उसका कुछ भाग रुपयों के रूप में राज्य के खजाने में जमा हो जाएगा। अपनी व्यवस्था में असफल होने पर जालिम सिंह ने राज्य के पुराने नियमों का फिर से आश्रय लिया था। वह पटेलों को नियन्त्रण में न रख सका था। किसी औषधि के काम न करने पर जालिम सिंह को शान्त हो जाना पड़ा। राज्य के पटेल फिर से अनियन्त्रित होकर भूमि का प्रबन्ध करने लगे। इसका परिणाम यह निकला कि राज्य के किसानों की दशा लगातार बिगड़ती गयी। वे इस योग्य न रह गये कि वे खेती करके राज्य का कर अदा कर सकते और अपने परिवार को जीवित भी रख सकते। इस दशा में निराश होकर किसानों ने खेती का काम छोड़ना आरम्भ किया और वे वेतन लेकर किसी प्रकार अपना काम चलाने की कोशिश करने लगे। पटेलों ने ऐसे किसानों की भूमि को लेकर जालिम सिंह के अधिकार में दे दिया और जालिम सिंह उन सभी खेतों में स्वयं खेती कराने लगा। 290