पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/२७५

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इसके तीन वर्ष बाद दुर्जनशाल की मृत्यु हो गयी। वह एक साहसी राजा था और राजपूतो के सभी गुण उसमें मौजूद थे। साहस और वीरता के साथ-साथ उसमे उदारता थी। वह शिकार खेलने का बहुत शोकीन था। वह प्रायः शेर और वाघ का शिकार किया करता था। दुर्जनशाल के साथ शिकार खेलने के समय उसकी रानियाँ भी जाती थीं। उन रानियों ने बन्दूक चलाने की शिक्षा पायी थी। जंगल में जाकर एक बने हुए मचान पर अपने हाथों में वन्दूकें लेकर वे बैठती थीं और आवश्यकता पड़ने पर वे सिंह एवम् वाव पर अपनी गोलियाँ चलाती थीं। शिकार खेलने के सम्बन्ध मे एक घटना का उल्लेख इस प्रकार पढ़ने को मिलता है : "एक दिन दुर्जनशाल अपने सेनापति हिम्मत सिंह झाला को लेकर शिकार खेलने के लिए गया। उसके साथ के सैनिकों ने एक बाघ को उत्तेजित किया। उस समय वह शिकारी लोगों पर आक्रमण करने के लिए दौड़ा। दुर्जनशाल ने यह नियम बना रखा था कि जब कोई शेर अथवा बाघ जंगल से निकलकर हम लोगों पर आक्रमण करे तो उस समय मंच पर बैठी हुई रानियाँ अपनी गोलियों से उसको मारने की कोशिश करें। लेकिन आज ऐसा नहीं हुआ। जिस समय वह बाघ क्रोध से उत्तेजित होकर दौड़ा उस समय हिम्मत सिंह झाला मंच के नीचे जंगली भूमि पर खड़ा था। ऐसे अवसर पर राजा दुर्जनशाल की आज्ञा पाने पर रानियाँ गोलियाँ चलाती थीं। आज दुर्जनशाल ने गोली चलाने के लिए रानियों को आदेश नहीं दिया। इसीलिए मचान पर बैठी हुई किसी रानी ने गोली मारने का साहस नहीं किया। तड़पते हुए वाघ ने आकर हिम्मत सिंह पर आक्रमण किया। हिम्मत सिंह ने बड़ी तेजी के साथ ढाल से अपनी रक्षा की और दाहिने हाथ से तलवार मार कर वाघ के सिर को काट कर जमीन पर गिरा दिया। यह देखकर राजा दुर्जनशाल और उसके साथ के सामन्तों ने हिम्मत सिंह की बहुत प्रशंसा की।" राजा दुर्जनशाल का विवाह मेवाड़ के राणा की एक लड़की के साथ हुआ था। दुर्जनशाल के कोई सन्तान पैदा न हुई थी। इसलिए मरने के तीन वर्ष पहले उसने अपनी रानी से कहा था : "यदि मैं पुत्रहीन अवस्था मे मरूं तो उस समय किसी लड़के को गोद ले लेना होगा।" __ पहले यह लिखा जा चुका है कि राजा रामसिंह का बड़ा लड़का विशन सिंह अपने पिता के कहने पर भी दक्षिण की लड़ाई में नहीं गया था। इसलिए उसके पिता ने सिंहासन के अधिकार से वंचित करके उसे चम्बल नदी के किनारे आणता नामक स्थान पर रहने के लिए भेज दिया था। दुर्जनशाल की मृत्यु के समय आणता में विशन सिंह का पौत्र अजीत सिंह मौजूद था। अजीत सिंह के तीन लडके थे। उनमे सबसे बडा छत्रसाल था। मरने के समय दुर्जनशाल ने छत्रसाल को गोद लेने की सलाह दी थी और उस समय मन्त्रियों और सामन्तों ने उस पर अपनी सम्मतियाँ दे दी थीं। लेकिन गोद लेने का समय उपस्थित होने पर सेनापति हिम्मत सिंह झाला ने छत्रसाल का विरोध करते हुए कहा : "यह मैं जानता हूँ कि मरने के पहले हमारे राजा नं छत्रसाल को गोद लेने के लिए अपनी सलाह दी थी और हम सभी ने उसे स्वीकार किया था। लेकिन इस समय हम सबके सामने गोद लेने का प्रश्न है। इसलिए हम 269