पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/२२९

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सिर लेकर महल के बाहर देवी के मन्दिर में पहुंचा और उन्हें देवी के सामने रखकर अपनी पूर्व योजना के अनुसार उसने ऊँचे स्वर में जयघोष किया। उसे सुनते ही उसके साथ के सैनिकों ने उस स्थान में प्रवेश किया, जहाँ पर नारायणदास मौजूद था। यह सव इतनी तेजी और तत्परता के साथ हुआ कि उनके विरुद्ध वृंदी में कोई प्रबन्ध न हो सका। नारायणदास और उसके साथी सैनिकों ने वहाँ के मुसलमानों पर भयानक आक्रमण किया। यह देखकर राजधानी के प्रत्येक हाड़ा राजपूत ने नारायणदास का साथ दिया। उस समय भीषण रूप से राजधानी में मुसलमान मारे गये। राव नारायणदास ने साहस के साथ मुसलमानों का संहार करके अपने पिता की राजधानी वृंदी पर अधिकार कर लिया। महल के भीतर जिस स्थान पर नारायण दास के दोनों चाचा मारे गये थे, दशहरे के त्यौहार पर उस स्थान के पत्थर की पूजा बूंदी के राजपूतों में अब तक की जाती है। नारायणदास विशालकाय और अत्यन्त वीर पुरुष था। वह कभी भी भयभीत होना न जानता था। लेकिन अधिक अफीम सेवन करने की उसकी आदत थी और इस अफीम के कारण ही उसके जीवन में अवांछनीय घटनायें घटी थीं। राजपूतों में आम तौर पर अफीम का सेवन होता था। लेकिन इन दिनों में इसका प्रचार अधिक बढ़ गया। अफीम सस्ती मिलती थी। उन दिनों में साधारण अफीम का सेवन करने वाला अपने लिये एक पैसे की अफीम प्रतिदिन के लिये काफी समझता था और जो आदमी इसका सेवन नहीं करता था, उसके लिये एक पैसे की अफीम भी प्राणघातक हो जाती थी। परन्तु नारायणदास एक वार में सात पैसे की अफीम खाता था। उसकी यह आदत धीरे-धीरे बहुत बढ़ गयी थी। नारायणदास के समय राणा रायमल्ल चित्तौड़ के सिंहासन पर था। उन्हीं दिनों में मांडू के पठानों ने चित्तौड़ पर आक्रमण करके वहाँ के दुर्ग को घेर लिया था। सन्धि के अनुसार चित्तौड़ के राणा ने नारायणदास को सेना के साथ सहायता के लिये बुलाया। नारायणदास ने चुने हुए पाँच सौ शूरवीरों को अपने साथ लिया और वह चित्तौड़ की ओर रवाना हुआ। वृंदी से चलकर पहले दिन उसने मार्ग में एक स्थान पर विश्राम किया और एक वृक्ष के नीचे अफीम का सेवन करके वह लेट गया। उसका मुख खुला हुआ था और नेत्र वन्द थे। मक्खियाँ उसके मुख और होठों पर एकत्रित हो रही थीं। उसी समय उस रास्ते से होकर एक तेली की स्त्री कुए का जल लाने के लिए निकली और नारायणदास को इस दशा में लेटे हुए देखकर उसने पास के किसी आदमी से पूछा "यह कौन है?" उस आदमी ने उत्तर दिया- "आप बूंदी के राव साहव हैं। चित्तौड़ के राणा ने अपनी सहायता के लिये राव साहब को बुलाया है।" उस स्त्री ने ध्यानपूर्वक नारायणदास की तरफ देखा और कहा-"हे भगवान, अपनी सहायता के लिये राणा को और कोई आदमी न मिला।" कहा जाता है कि अफीम सेवन करने वाले की आँखें बन्द रहती हैं। लेकिन उसको उस समय कानों से अधिक सुनाई देता है। उस स्त्री ने जो कुछ कहा, नारायणदास ने उसे भली प्रकार सुना। उसने अपनी आँखें खोल दी और उठकर उसने उस स्त्री से पूछाः"तुम क्या कह रही हो?" 221