पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/२२०

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

अपने प्रश्न के उत्तर में राव देवा को सुनायी पड़ा- "गांगार खींची।" उसी समय राव देवा ने अपना नाम बतलाते हुए उससे कहा- "हमारा नाम देवहाड़ा है। हम दोनों एक ही जाति के हैं और हम दोनों भाई-भाई हैं। इसलिए हम दोनों में किसी प्रकार की शत्रुता न होनी चाहिये। यह चम्बल नदी हम दोनों के राज्यों की सीमा है।" सन् 1342 ईसवी में मीणा और उसारा लोगों के राजा जैत ने राव देवा को अपना राजा मन्जूर किया। राव देवा ने बुन्दानाल के मध्यवर्ती स्थान में बूंदी नामक एक नगर की प्रतिष्ठा की और वह नगर बाद में हाड़ा जाति की राजधानी के नाम से प्रसिद्ध हुआ। उसी समय चम्बल नदी बूंदी की सीमा निश्चित हुई थी। परन्तु थोड़े ही दिनों के बाद हाड़ा वंश के लोगों ने चम्बल नदी की दूसरी तरफ जाकर बहुत दूर तक अपने राज्य का विस्तार किया और दिल्ली के बादशाह के सेनापति के साथ मेल करके बूंदी राज्य की सीमा का विस्तार मालवा तक पहुँचा दिया। उसके पश्चात यह विस्तृत राज्य हाड़ावती अथवा हाड़ौती के नाम से प्रसिद्ध हुआ। 212