पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/२१९

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करें। उन तीनों चीजों में- पहला उसका घोड़ा है, दूसरी उसकी स्त्री है और तीसरी उसकी तलवार है।" इतना कहने के बाद राव देवा वहाँ पर रुका नहीं। वह तेजी के साथ दिल्ली से रवाना हुआ और पठार पहुंच गया। • राव देवा ने बंवावदा का अधिकार अपने बड़े लड़के हरगज* को पहले ही सौंप दिया था। इसलिये वह वहाँ पर नहीं आया और बुन्दानाल की तरफ रवाना हुआ। इसी स्थान पर उसके एक पूर्वज ने अपने एक कठिन रोग से मुक्ति पायी थी। राव देवा वहाँ पहुँच गया। यहाँ पर मीणा और उसारा जाति के लोग राजा जेता की अधीनता में रहते थे। उन दिनों वहाँ पर कोई नगर नहीं था। केवल पत्थरों पर चलने के लिए पहाड़ी घाटियाँ थीं। वहाँ के मध्यवर्ती स्थान में मीणा लोगों ने अपने रहने के लिए कुटियाँ बनायी थीं। यहाँ के लोग चित्तौड़ के विध्वंस के पहले राणा की अधीनता में रहा करते थे। परन्तु इन दिनों में राणा की शक्तियाँ निर्बल पड़ गयी थी। इसीलिए रामगढ़ के खीची राजा रावगांगा ने यहाँ पर आकर अधिकार कर लिया था। रावगांगा के अत्याचारों से बचने के लिए मीणा और उसारा लोगों ने उसको कर देना आरम्भ कर दिया था और बहुत दिनों तक वे कर देते रहे। राब देवा ने वहाँ पहुँचकर मीना और उसारा लोगों की इस परिस्थिति को समझा। उसने उन दोनों जातियों की सहायता करने का वचन दिया और उसने इस बात की प्रतिज्ञा की कि भविष्य में अब कभी उनको रावगांगा से डरने की आवश्यकता न होगी। राव देवा की इस प्रतिज्ञा को सुनकर उसारा और मीणा लोगों ने उसका विश्वास किया और रावगांगा से मुक्ति पाने के लिए वे लोग प्रतीक्षा करने लगे। ___ इसके कुछ दिनों के बाद रावगांगा अपनी सेना के साथ कर वसूल करने के लिए बूंदी राज्य की सीमा पर आया। यहीं पर मीणा और उसारा जाति के लोग आकर उसको कर दिया करते थे। उनके न आने पर रावगांगा को आश्चर्य हुआ। उन्हीं दिनों में उसने रावदेवा को घोड़े पर बैठे हुए सेना के साथ आते हुये देखा। उसने तुरन्त पूछा-"कौन आ रहा है?" प्रश्न के बाद उसे उत्तर मिला-"पठार का राजा आ रहा है।" राव गांगा की सवारी का घोड़ा भी राव के घोड़े से किसी प्रकार कम न था। उस घोड़े का जन्म भी उसी प्रकार हुआ था, जिस प्रकार राव देवा के घोड़े का। राव गांगा अपने घोड़े पर चढ़कर तेजी के साथ पठार नरेश राव देवा की तरफ रवाना हुआ। कुछ ही समय के बाद दोनों में युद्ध आरम्भ हो गया। उस युद्ध मे पठार के राजा राव देवा की विजय हुई और राव गांगा युद्ध-क्षेत्र से भाग गया। राव देवा ने रावगांगा के घोड़े की परीक्षा करने का विचार किया। वह अपने घोड़े पर बैठा हुआ राव गांगा के पीछे रवाना हुआ। राव गांगा ने घाटी को छोड़ कर चम्बल नदी में प्रवेश किया। राव देवा आश्चर्य के साथ उसकी तरफ देख रहा था। उसके देखते-देखते राव गांगा चम्बल नदी की दूसरी तरफ निकल गया। यह देखकर राव देवा ने प्रसन्न होकर उससे पूछा:-"राजपूत, मैं आपकी प्रशंसा करता हूँ। आपका नाम क्या है?" हरराज के बारह लड़के पैदा हुये। हालू हाड़ा ठनमें सबसे बड़ा था। बम्बावदा का अधिकार टमी को मिला था। पठार के चौवीस दुर्गों पर उसका अधिकार था। 211