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हुआ। परन्तु उसी समय आक्रमणकारी सेना युद्ध-क्षेत्र से भागने लगी। जख्मी अस्थिपाल ने शत्रु सेना का पीछा किया। लेकिन वह अधिक दूर तक न जा सका और अचेत होकर गिर पड़ा। इसी समय सुरावाई आश्रय पाने के लिये गोलकुण्डा से आ रही थी। वह भूख,प्यास और पैदल चलने के कारण थकावट से एक वृक्ष के नीचे बैठ गई। वह वृक्ष पीपल का था। उसके नीचे सुराबाई मृतप्राय हो रही थी। उसकी इस अवस्था में चौहानों की कुल देवी आशापूर्णा ने आकर उसको दर्शन दिये। देवी को देखकर सुराबाई ने उससे अपनी विपद का वर्णन किया और उसने उसको बताया कि वह किस दशा में गोलकुण्डा से भागकर यहाँ आयी, किस प्रकार उसका पिता अपने बारह पुत्री के साथ आक्रमणकारियों के द्वारा मारा गया। ___ सुरावाई के मुख से उसकी करूण कहानी को सुनकर देवी ने संतोप देते हुए उससे कहा:-"अब तुम घवराओ नहीं। इसलिये कि तुम्हारे एक सजातीय चौहान ने आक्रमणकारियों को परास्त करके भगा दिया है।" यह कहकर सुराबाई को साथ में लेकर देवी उस स्थान पर गयी, जहाँ पर अस्थिपाल घायल अवस्था में अचेत पडा था। देवी की सहायता से अस्थिपाल ने स्वास्थ्य लाभ किया और उसके पश्चात् उसने असीर के प्रसिद्ध दुर्ग पर अधिकार कर लिया। हाड़ा वंश के प्रतिष्ठाता अस्थिपाल ने सन् 1025 ईसवी मे असीर पर अधिकार प्राप्त किया था। सुलतान महमूद मुलतान होकर मरुभूमि के रास्ते से हिजरी 714 सन् 1022 ईसवी में अजमेर पहुँचा था। इस दशा मे हमें सभी प्रकार से अधिकार यह निर्णय करने के लिये है कि अस्थिपाल के पिता अनुराज ने उसी समय अपने प्राणों की बलि देकर असि-राज्य का अधिकार खोया था, जव महमूद ने अजमेर पर आक्रमण करके उसको विध्वंस किया था। हिन्दू कवि ने कजली वन को असूर कहकर अपने काव्य में लिखा है। लेकिन मुस्लिम इतिहासकार ने कहीं पर भी इस वात का उल्लेख नहीं किया कि सुलतान महमूद किस समय अपनी सेना के साथ दक्षिण गया और कब उसने गोलकुण्डा को जीत कर अधिकार किया। कवि गोविन्द राम ने जिस कजली वन की बर्बर जाति का वर्णन किया है, महमूद सुलतान उस कजली वन का शासक था, इस बात को स्वीकार करने के लिये कोई ठोस प्रमाण होना चाहिये। यद्यपि यह वात सही है कि यदुवंशी राजा गज से गजनी की सृष्टि हुई थी फिर भी यदि महमूद दक्षिण की तरफ गया था तो निश्चित रूप से मुस्लिम इतिहासकार को उसका वर्णन कहीं न कहीं पर करना चाहिये था। ऐसा मालूम होता है कि दक्षिण में किसी पहाड़ी स्थान का नाम कजली वन रहा होगा। यह कजली वन कहाँ था, इसका निर्णय करने के लिये हमारे पास कोई सामग्री नहीं है। उत्तर और दक्षिण भारत मे जो राजा थे, उनके वंशजों ने वहाँ के प्राचीन निवासियों के साथ मिलकर मराठा नाम की एक नयी जाति की उत्पत्ति की और यादव, तोमर एवम् प्रमार आदि अपने प्राचीन राजवणों के नामों को छोड़कर देश के जिस भाग में पैदा हुये, उसी के नाम से नीमालकर, फालकिया और पाटनकर आदि नामों से प्रसिद्ध हुये। ___अस्थिपाल के एक लडका था, चन्द्रकर्ण उसका नाम था। चन्द्रकर्ण के लोकपाल नामक लड़का पैदा हुआ। लोकपाल के दो लड़के हुये। एक का नाम था हमीर और दूसरे का नाम था गम्भीर। वे टानों मम्राट पृथ्वीराज की अधीनता में थे और कई युद्धों मे उन्होंने अपनी 208