पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/१९५

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

शेखावाटी के राज्यों और उसकी जागीरों की आमदनी की तालिका नीचे दी जाती है। यद्यपि उसके बहुत सही होने का हमारे पास कोई प्रमाण नहीं है। फिर भी जो साधन हमको प्राप्त हुए हैं, उसके आधार पर हमने सही-सही लिखने की चेष्टा की है। वहाँ की कुल आमदनी पच्चीस लाख रुपये से लेकर तीस लाख रुपये वार्पिक तक थी। यद्यपि इन दिनों में उन जागीरों और राज्यों की आमदनी घटकर बहुत कम हो गयी थी। उनकी आमदनी के घट जाने का मुख्य कारण यह था कि वे प्रायः आपस में लड़कर एक दूसरे का विनाश किया करते थे और इस आपसी विद्वेप के कारण प्रायः उनको बहुत सा धन देकर आक्रमणकारियों को शांत करना पड़ता था। आपसी लड़ाइयों और बाहरी हमलों से उन जागीरों को बहुत क्षति पहुंची थी। उनकी आय की तालिका इस प्रकार है: सीकर और खण्डेला के लक्ष्मण सिंह की 800000 रुपये खेतड़ी के अभय सिंह की 600000 रुपये बिसाऊ के श्याम सिंह और रणजीत सिंह की 190000 रुपये नवलगढ़ के ज्ञान सिंह की 70000 रुपये मेदसर के लक्ष्मण सिंह की 30000 रुपये जोरावर सिंह की 100000 रुपये उदयपुर वाटी की 120000 रुपये मनोहरपुर की 30000 रुपये लाडखानियों की 100000रुपये हरराम जी लोगों क. 40000रुपये गिरिधर पोताओं की 40000 रुपये छोटे सामन्तों की 200000 रुपये जोड़ 2320000 रुपये जयपुर के राजा को जागीरों से मिलने वाले कर की तालिकासिद्धानी लोगों से 200000 रुपये खण्डेला से 6000 रुपये फतेहपुर से 64000 रुपये उदयपुर और विवाई से 22000 रुपये कासली से 4000 रुपये 35100 रुपये शेखावाटी के सामन्तों की ऊपर लिखी हुई जो आमदनी यहाँ पर दी गयी है, वह विगत पचास वर्षो से लगातार घटती आ रही है। जोड़