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का कर वसूल किया और इस प्रकार जो धन एकत्रित हुआ, उससे उसने योरोप के प्रसिद्ध जार्ज थामस को अपने यहाँ सेनापति बनाकर नियुक्त किया। सेनापति थॉमस युद्ध में बहुत वुद्धिमान माना जाता था। उसने बाघसिंह की इस नियुक्ति को प्रसन्नता के साथ स्वीकारा और उसकी सेना का अधिकार अपने हाथों में लेकर जयपुर के साथ वह युद्ध की तैयारी करने लगा। बाघसिंह और जार्ज थामस के अधिकार में जितनी सेना थी, उससे कई गुना बड़ी जयपुर की सेना बाघसिंह से युद्ध करने के लिए तैयार हुई। परन्तु जार्ज थामस ने इसकी कुछ भी परवाह न की। उसके साथ की सेना यद्यपि बहुत छोटी थी, परन्तु उसने युद्ध की पूरी शिक्षा पायी थी और इसलिए सेनापति थामस उस पर बहुत विश्वास करता था। जयपुर की एक विशाल सेना उसके साथ युद्ध करने के लिए तैयार हुई। दोनों ओर से युद्ध आरम्भ हुआ। अन्त में जयपुर की सेना कमजोर पड़ने लगी और उसका सेनापति रोडाराम भयभीत होकर युद्धस्थल से भाग गया। आमेर की सेना के पराजित होकर भागने पर जार्ज थामस ने शत्रुओं की बहुतसी युद्ध सामग्री लेकर अपने अधिकार में कर ली। रोडाराम की सेना के पराजित होने पर जयपुर में फिर से युद्ध की तैयारियां हुई। चौमूं के सामन्त रणजीत ने अपनी शक्तिशाली सेना को एकत्रित करके और जयपुर की सेना को साथ लेकर जार्ज थामस की सेना पर आक्रमण किया। उस समय दोनों सेनाओं में भयानक युद्ध हुआ और अन्त मे रणजीत सिंह की विजय हुई। परन्तु वह बुरी तरह से घायल हुआ और उसके साथ के बहुत से शूरवीर राजपूत मारे गये। इस युद्ध में साँगारोत वंश के दो शक्तिशाली सामन्त बहादुर सिंह और पहाड़ सिंह भी भयानक रूप से घायल हुए। जार्ज थामस अपनी सेना के साथ परास्त होकर भाग गया।* जयपुर के कारागार में खण्डेला के नरसिंह और प्रताप सिंह अव भी कैदी थे। जयपुर राज्य के विरुद्ध बाघसिंह को प्रयत्नशील सुन कर वे दोनों अपनी मुक्ति की आशा करने लगे। इन दिनों में उन दोनों ने छिपे तौर पर बाघसिंह के साथ पत्र व्यवहार किया और उन्होंने गुप्त रूप से सेनापति रोडाराम के पास ऐसा सन्देश भेजा कि जिससे वह बाघसिंह से मिल कर उसको अनुकूल बना सके। रोडाराम ने उस सन्देश के उत्तर में कहला भेजा कि अगर रायसलोत की शक्तिशाली सेना मेरे साथ आकर मिल जाये तो आपके प्रस्ताव के अनुसार मैं सब कुछ कर सकता हूँ। ____ बाघसिंह और सेनापति रोडाराम के साथ खण्डेला के नरसिंह और प्रतापसिंह ने जो गुप्त परामर्श और पत्र-व्यवहार किया, उसके फलस्वरूप रोडाराम की बात को पूरा करने के लिए बाघसिंह को मौका दिया गया। रोडाराम राजनीतिज्ञ चतुर सेनापति था। वह समझता था कि शेखावाटी के सामन्तों में बाघसिंह ने अपने बल पौरूष द्वारा इन दिनों ख्याति प्राप्त की है, इसलिए यदि वह जयपुर राज्य के पक्ष मे कर लिया जाता है तो यह हमारी राजनीतिक चतुरता होगी। वाघसिंह उन दिनों में अपनी सेना के साथ दुर्ग में बने हुए महल में रहता था। उसने प्रसिद्ध लेखक फ्रेंकलिन ने जार्ज थामस का जीवन चरित्र लिखा है। उसमे उसने लिखा है कि उसका यह युद्ध जो राजपूतो के साथ हुआ था, उसमें राजपूतो की विजय कुछ विशेष कारण रखती थी, फिर भी जार्ज थामस ने राजपूतों की बहादुरी की प्रशंसा की थी। 171