पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/१६५

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

खण्डेला राज्य की इस प्रकार की घटनाओं के समाचार आमेर-राजधानी में माधव सिंह के पास पहुंचे। वह ब्राह्मण द्रोही नहीं बनना चाहता था। इसलिए उसने अपनी भेजी हुई सेना को वापस बुला लिया और विद्रोही ब्राह्मणों को आमेर में आने के लिए उसने संदेश भेजा। खण्डेला राज्य के व्राह्मण बड़ी संख्या में आमेर राजधानी पहुँचे। राजा माधव सिंह ने उन ब्राह्मणों को वीस हजार रुपये देकर संतुष्ट किया। इसके बाद वे ब्राह्मण अपने-अपने स्थानों को लौट गये। आमेर की सेना के लौट जाने से वृन्दावन दास कमजोर पड़ गया। इन्द्रसिंह ने इस अवसर का लाभ उठाने के लिए अपने सैनिकों को एकत्रित किया। उसने राजा माधव सिंह का अनुग्रह प्राप्त करने का भी इरादा किया। इन दिनों में आमेर के राजा की तरफ से खुशालीराम वोरा ने माचेड़ी के राव पर आक्रमण करने की तैयारी की थी और जिस समय आमेर की सेना खुशालीराम वोरा के नेतृत्व में माचेड़ी की तरफ जा रही थी, इन्द्रसिंह अपनी सेना के साथ पारासोली से रवाना हुआ था। वह आमेर की सेना के साथ जाकर मिल गया और इन दोनों सेनाओं ने माचेड़ी पहुँचकर आक्रमण किया। वहाँ का राव घवराकर जाटों के राजा के पास भाग गया। माचेड़ी के आक्रमण में इन्द्र सिंह ने आमेर की सेना का साथ दिया। इसलिए आमेर के राजा माधव सिंह ने उसको खण्डेला राज्य की सनद दे दी। इन दिनों मे इन्द्र सिंह ने राजा माधव सिंह को पचास हजार रुपये भी दिये। राजा माधव सिंह से इन्द्र सिंह को खण्डेला राज्य की सनद मिल जाने के बाद उसकी शत्रुता वृन्दावन दास के साथ और भी अधिक हो गयी। दोनो ने एक दूसरे का नाश करने की पूरी तैयारी की। इसका परिणाम उसके वंश और परिवार के लिए अत्यधिक भयानक हो उठा। यह भयानक संवर्प पिता-पुत्र के साथ, भाई-भाई के साथ और परिवार के एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति के साथ आरम्भ हुआ। खण्डेला राज्य के इस गृहयुद्ध में एक तरफ वृन्दावन दास था और दूसरी तरफ इन्द्र सिंह था। दोनों आमेर के राजा की सहायता अपने पक्ष में प्राप्त करने के लिए सभी प्रकार के प्रयत्न कर रहे थे। राजा माधव सिंह ने सिंहासन पर बैठने के वाद अपनी सेना देकर वृन्दावन दास की सहायता की थी और माचेड़ी के राव पर आक्रमण करने के समय इन्द्रसिंह की सहायता मिलने से उसी राजा माधव सिंह ने इन्द्र सिंह को खण्डेला राज्य की सनद दे दी आमेर के राजा की इन दो मुखी चालों से उन दोनों को यह समझना कठिन हो गया कि राजा माधव सिंह किस पक्ष का समर्थन कर रहा है। यही कारण था कि इन दिनों में भी आमेर की सहायता प्राप्त करने के लिए दोनों पक्षों की तरफ से पूरी-पूरी कोशिश हो रही थी। इन्द्र सिंह वृन्दावन दास से उदयगढ़ दुर्ग का अधिकार छीन लेने के लिए अपनी सेना के साथ रवाना हुआ। वृन्दावन दास का छोटा लड़का रघुनाथ सिंह अपने पिता के विरुद्ध युद्ध करने के लिए इन्द्र सिंह के साथ चला। वृन्दावन दास ने अपने लड़के रघुनाथ को कोछोर का अधिकार दे दिया था। लेकिन इससे उसको संतोष न मिला और उसने कोछोर के अतिरिक्त दूसरे तीन नगरों पर अधिकार कर लिया। उस समय वृन्दावन दास ने रघुनाथ को दवाने के लिए इन्द्र सिंह के साथ मेल किया था और उसके वाद उसने कोछोर पर आक्रमण करने व 157