पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/१४९

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

उस मुसलमान फकीर की दरगाह अवरोल से छ: मील की दूरी पर मोकल के निवास स्थान से चौदह मील की दूरी पर बनी हुई थी। यह दरगाह अब तक उस स्थान पर देखी जा सकती है। यह घटना भारत में तैमूर के आक्रमण करने के थोड़े ही दिनो बाद की है, जिसका उल्लेख इस प्रकार मिलता है: __शेख बुरहान भ्रमण करता हुआ किसी समय अमरसर की सीमा के एक ऐसे स्थान पर पहुंच गया,जहाँ पर मोकल जी मौजूद था। फकीर ने उसके पास जाकर साधारण अभिवादन के वाद पूछाः "क्या आप मुझे कुछ देंगे?" मोकल जी ने नम्रता के साथ उत्तर दिया- "आप किस चीज की इच्छा करेंगे।" मोकल जी के इस उत्तर को सुनकर फकीर ने थोड़ा-सा दूध मांगा। मोकल जी की आज्ञा से उस फकीर के पास एक ऐसी भैंस लायी गयी, जिसका दूध कुछ ही पहले दुह लिया ' गया था। फकीर ने भैंस के थनों से इस प्रकार दूध निकालना शुरू किया जैसे किसी झरने से पानी निकलता है। यह देखकर मोकल को बड़ा आश्चर्य हुआ। उसे विश्वास हो गया कि फकीर में कोई देवी शक्ति है। उसने प्रभावित होकर बड़ी नम्रता के साथ कहा- "मेरे कोई सन्तान नहीं है। उस फकीर की दुआ से मोकल जी के एक लड़का पैदा हुआ। उस लड़के का नाम फकीर के नाम के आधार पर शेखा रखा गया। फकीर ने उस बालक के सम्बन्ध में कहा- यह बालक हमेशा अपने गले में गण्डा नामक तागा बाँधेगा। आवश्यकता पड़ने पर वह गण्डा दरगाह के किसी ऊँचे स्थान पर रखा जाएगा। यह बालक नीले रंग की टोपी और दूसरे वस्त्र पहनेगा। कभी शूकर अथवा दूसरे मांस का सेवन नहीं करेगा।" इन बातों के साथ-साथ फकीर ने मोकल से कहा कि शेखावतों में किसी बालक के उत्पन्न होने पर बकरे की बलि दी जायेगी। कुरान का कलमा पढ़ा जाएगा और उस बकरे के रुधिर के छीं: बालक पर डाले जायेंगे। मोकल ने फकीर की इन बातों को स्वीकार किया। इस घटना को चार सौ वर्ष बीत चुके हैं लेकिन फकीर की कही हुई बातों का उसके वंश के लोगों मे आज तक पालन होता है। ____ मोकल के वंशज दस हजार वर्ग मील की भूमि में फैले हुये है। शेखावत लोगों में प्राचीन बातों का प्रचलन अब कम हो गया है। लेकिन इस वंश के बालकों को जन्म से दो वर्ष तक नीले रंग के वस्त्र पहनाये जाते हैं। इस वंश में आज भी उस फकीर का महत्व बहुत कुछ देखा जाता है और उसके सम्मान में ही वे लोग अपने पीले रंग की पताका के किनारे नीला फीता लगाते हैं। गण्डा पहनने की प्रथा उस समय से लेकर अब तक शेखावतों में देखी जाती है। अमरसर और उसके आसपास के नगर अथवा ग्राम आमेर राज्य के अधिकार में थे। परन्तु शेख बुरहान की दरगाह अव तक स्वतंत्र मानी जाती है। उस दरगाह की शरण में जो पहुँच जाता है, राजा की तरफ से वह कैद नहीं किया जाता है। दरगाह के समीप ताला नाम का एक नगर है। उस नगर में एक सौ से अधिक उसके वंशज रहते हैं। जिस भूमि पर वे खेती करते हैं। उसका वे लगान नहीं देते। अपने पिता की मृत्यु के पश्चात् शेखा वहाँ का अधिकारी हुआ और थोड़े ही दिनो में उसने अपने आस-पास के तीन सौ साठ ग्रामो पर अधिकार कर लिया। यह समाचार मिलने 141