पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/१३५

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

नजफ खाँ दिल्ली के मुगल बादशाह के यहाँ प्रधान सेनापति था और इन दिनों में दिल्ली के आस-पास जाटों के उपद्रव बढ़ रहे थे। उनके आगरा पर आक्रमण करने पर प्रधान सेनापति नजफ खाँ ने वादशाह के साथ परामर्श किया और मराठों की सहायता लेने के लिए उसने उनके सरदार से बातचीत की। इसके पश्चात् मुगलों की एक फौज लेकर वह जाटों का दमन करने के लिए रवाना हुआ। खुशहाली राम राजनीति से काम लेना चाहता था। उसके परामर्श से माचेड़ी का सामन्त भी अपनी सेना लेकर बादशाह के प्रधान सेनापति की सहायता के लिए पहुँच गया। जाटों के विरुद्ध मराठा सेना भी आ गयी थी। नजफ खाँ ने जाटों पर आक्रमण किया। जाटों की सेना पराजित होकर आगरा से अपनी राजधानी भरतपुर की तरफ भागी। मुगल सेना ने अन्य सेनाओं के साथ भरतपुर राज्य पर आक्रमण किया। नवलसिंह इन दिनों में जाटों का सरदार था। मुगलों के साथ जाटों को पराजित होना पड़ा। इस युद्ध में माचेड़ी के सामन्त ने वादशाह की फौज का साथ दिया था ओर उसके इस कार्य के बदले में वादशाह ने खुश होकर उसको राव राजा की उपाधि दी। इसके साथ-साथ जयपुर की अधीनता से निकल कर मुगलों की अधीनता में शासन करने के लिए बादशाह ने उसे एक सनद भी लिख दी। इस प्रकार माचेड़ी का सामन्त जयपुर राज्य की अधीनता से अलग हो गया। खुशहाली राम के परामर्श का पूरा लाभ माचेड़ी के सामन्त ने उठाया । अव वह जयपुर राज्य की अधीनता से अलग हो चुका था। उसका सीधा सम्बन्ध मुगल बादशाह के साथ हुआ। खुशहाली राम ने इन दिनों में माचेड़ी के सामन्त से एक नया परामर्श किया और उसके द्वारा उसने अपने शत्रु फीरोज का नाश करने के लिए संकल्प किया। खुशहाली राम ने अपनी सेना के साथ वादशाह के यहाँ जाने की तैयारी की। बड़ी रानी ने इसको विना किसी विरोध के स्वीकार कर लिया और उसने खुशहाली राम के स्थान पर फीरोज महावत को आमेर की सेना का अधिकारी वना कर भेजा। खुशहाली राम ने इसमें किसी प्रकार की आपत्ति न की। फीरोज आमेर की सेना को लेकर वादशाह के प्रधान सेनापति के यहाँ गया। खुशहाली राम ने इसके पहले ही माचेड़ी के राव राजा से एक गुप्त पड़यन्त्र कर लिया था। फीरोज महावत के वहाँ पहुँचने पर माचेड़ी के सामन्त ने उससे भेंट की और उसने उसके साथ सम्मानपूर्ण व्यवहार किया। फीरोज महावत ने माचेड़ी के राव राजा का पूर्ण रूप से विश्वास किया। इसी अवसर पर खुशहाली राम का पड़यन्त्र सफल हुआ। माचेड़ी के राव राजा ने फीरोज महावत को विप देकर उसके जीवन का अन्त कर दिया। उसके मर जाने के वाद माचेड़ी का सामन्त फीरोज के स्थान पर आमेर मन्त्रिमण्डल का सदस्य बनाया गया। फीरोज के मर जाने के बाद बड़ी रानी ने उसका अनुसरण किया और उसने अपने प्राण त्याग दिये। प्रतापसिंह की अवस्था इस समय भी बहुत थोडी थी। वह बिना किसी दूसरे की सहायता के राज्य का शासन नहीं कर सकता था। इस परिस्थिति को खुशहाली राम पहले मे ही जानता था और माचेड़ी के राव राजा के साथ वह पहले ही परामर्श कर चुका था। उसने अपनी राजनीति का जो जाल विछाया था, वह आमेर राज्य में इस समय पूर्ण रूप से सफल हो रहा था। परन्तु कूटनीति और विश्वासघात थोडं ही समय के बाद संकटपूर्ण साबित होता है। खुशहाली राम के सम्बन्ध में ऐसा ही हुआ। उसने अपनी राजनीतिक चालों से आमेर के राज्य को अपने नियन्त्रण में रखने की चंप्टा की थी। इसके लिए अब तक के उसके सभी प्रयत्न 127