सवाई जयसिंह ने अपनी सेना लेकर थून और सिनसिनी को जाकर घेर लिया। उस समय जाटों ने भयंकर युद्ध किया और अपने दुर्गो की रक्षा की। राजा जयसिंह को निराश होकर वहाँ से लौट आना पड़ा। चूड़ामणि जाट सरदार था। छोटे भाई बदन सिंह के साथ उसका संघर्ष आरम्भ हुआ। अन्त में चूडामणि के द्वारा बदन सिंह कैद कर लिया गया और वह कई वर्ष तक वन्दी अवस्था में रहा। इसके पश्चात् आमेर के राजा जयसिंह के मध्यस्थ होने पर चूड़ामणि ने अपने छोटे भाई बदन सिंह को कैद से छोड़ दिया। बदन सिंह छूटकर जयपुर में पहुँचा। उसने थून पर अधिकार करने के लिए राजा जयसिंह को प्रोत्साहित किया। जयसिंह ने अपनी सेना लेकर जाटों के नगर थून को जाकर घेर लिया। चूडामणि ने बड़े साहस के साथ छः महीने तक युद्ध किया। अन्त में वह अपने पुत्र मोहन सिंह के साथ दुर्ग से भाग गया। राजा जयसिंह ने थून के दुर्ग पर अधिकार कर लिया और वदन सिंह को वहाँ के जाटों का राजा घोपित किया। घोपणा डीग नामक स्थान पर की गई। वदन सिंह के कई लड़के पैदा हुये थे। उनमे सूर्यमल्ल, शोभाराम, प्रताप सिंह और वीर नारायण नामक चार पुत्र अधिक प्रसिद्ध हुए। वदन सिंह ने जाटों के उन कई नगरों पर भी अधिकार कर लिया, जिन पर मुगल वादशाह का अधिकार चल रहा था। बदन सिंह ने वेर नामक स्थान पर एक दुर्ग वनवाया और अपने बड़े लड़के सूर्यमल्ल को उसने सव अधिकार दे दिये। वदन सिंह का बड़ा बेटा सूर्यमल्ल सभी प्रकार योग्य और पराक्रमी था। पिता के अधिकारों को प्राप्त करने के बाद उसने भरतपुर पर आक्रमण किया। वहाँ का राजा जाट वंशी था। सूर्यमल्ल ने युद्ध में उसको पराजित किया और भरतपुर पर अधिकार कर लिया। सूर्यमल्ल की शक्तियाँ धीरे-धीरे विशाल होती गईं। उसने साहस और बुद्धिमानी के साथ अपना संगठन बनाया और सन् 1764 ईसवी में सूर्यमल्ल ने बादशाह की राजधानी दिल्ली को लूट लेने का विचार किया। परन्तु कुछ कारणों से वह ऐसा न कर सका। जिस समय वह शिकार खेलने गया था, बिलोचों के एक समूह ने आकर एकाएक उस पर आक्रमण किया। उस समय वह जान से मारा गया। जवाहिर सिंह, रईन सिंह, नवल सिंह, नाहर सिंह और रणजीत सिंह नामक उसके पाँच लड़के पैदा हुये। सूर्यमल्ल एक दिन जव शिकार खेलने गया था, रास्ते में उसको हरदेश वख्श नामक एक छोटा वालक मिला। उसे लाकर सूर्यमल्ल ने उसको भी अपना वालक बनाकर रखा। ऊपर लिखे हुये पाँच लड़कों में पहला और दूसरा कुर्मी जाति की विवाहिता स्त्री से पैदा हुआ था। तीसरा पुत्र मालिन जाति की स्त्री से और शेप दो जाट वंशी स्त्रियों से पैदा हुये थे। सूर्यमल्ल की मृत्यु हो जाने पर उसका लड़का जवाहिर सिंह अपने पिता के राज्य का अधिकारी हुआ। वह माधवसिंह का समकालीन था। सिंहासन पर बैठने के बाद जवाहिरसिंह ने माधव सिंह के साथ विरोध भाव पैदा किया। इसके दो मुख्य कारण थे। पहला कारण यह था कि माधव सिंह मराठों पर आक्रमण न कर सके और दूसरा कारण यह था कि जयपुर के अधीन माचेड़ी के सामन्त को निकालकर वहाँ पर अपना अधिकार कर ले। हिजरी सन् 1182 3 123
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