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दूसरा अंक दृश्य] बादशाह-वेगम, तुम जानती हो कि मैं तुम्हें किस कदर प्यार करता हूँ। यहाँ तक कि जिस शराब के पीने की सल्तनत भर में मनाही है, तुम्हारे महल में नहीं। बेगम-(शराब भरती हुई)जानती हूँ जहाँपनाह । मगर लोंडी का इतना ख्याल उस रूपनगर की रानी के बाद रहेगा या नहीं यह कौन जाने ? (हसकर) जाने दीजिए, जो होगा देखा जायगा । लीजिए एक जाम पीकर राम ग़लत कीजिये। बादशाह-मुझे माफ करो बेगम ! मैं संजीदी से जानना चाहता हूँ कि क्या यह खबर सच है ? बेगम-एकदम सच । बादशाह-तुम यह कहना चाहती हो कि तुम्हें यह खबर तुम्हारे मातबर आदमी ने दी है ? बेगम-बेशक ! (प्याला परकर) हुजूर का इरादा क्या है ? बादशाह-मैं रूपनगर की ईट से ईट बजा दूंगा। बेगम-बादशाह आलमगीर के लिये यह एक अदना काम है। मगर इसी सिलसिले में क्या हुजूर मेरी एक ख्वाहिश पूरी करेंगे। बादशाह-कौनसी ख्वाहिश बेगम । बेगम-एक छोटी सी ख्वाहिश । बादशाह-आखिर सुनें भी। बेगम-महज मजाक।