पाँचवाँ दृश्य स्थान-दिली का लाल किला रंगमहल का भीतरी भाग। उदयपुरी बेगम का शयन कक्ष । बादशाह औरंगजेब और उदयपुरी बेगम बातें कर रहे हैं। समय-रात्रि) उदयपुरी बेगम-(शराब का प्याला भरकर ) लीजिए जहाँपनाह, यह प्याला अपनी उस चहेती के नाम पर, जिसने हुजूर की तस्वीर को जूतियों से कुचल डाला । (प्याला बढ़ाती है)। यादशाह-(गुस्से में भरकर) शराब रहने दो, यह कहो कि यह खबर तुम्हें किसने दी? बेगम-(नखरे से) हुजूर, उड़ती चिड़िया खबर दे गई। फिर इसमें मलाल ही क्या-हसीनों के चोचले ही जो ठहरे। अगर हुजूर को उस नाजनी के नाम का यह प्याला पीने में दरेरा है तो बन्दी ही पीती है। (प्याखा पीकर) वाह, क्या लजीज शराब है। ये फरंगी शराब बनाने में लाजवाब है । तो जहाँपनाह बादशाह-मैं तुमसे सही तौर पर यह जानना चाहता हूँ कि तुम्हें यह खबर किसने दी? बेगम-किसी ने दी, मगर है सच । (दूसरा प्याला भरती है)
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