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तीसरा दृश्य (स्थान-रूपनगर के महल-राजा रूपसिंह की विधवा रानी और राजा रामसिंह बातें करते हैं) रानी-क्या तुमने दिल्ली के बादशाह को (चार) का डोला देना मजूर कर लिया है। रामसिंह-आपसे किसने कहा रानी मा । रानी-मैं पूछती हूँ कि क्या सच है ? रामसिंह-अगर सच हो तो? रानी-और यह भी सच है कि शाही सेना राजकुमारी का डोला लेने को दिल्ली से चल पड़ी है। रामसिंह-बादशाह सलामत खुद राजकुमारी से शादी करने बारात सजा कर आ रहे हैं। भला यह इज्जत किसी और राजा को भी नसीब हुई थी। रानी-तुमने मेरी बिना आज्ञा ऐसा क्यों किया ? रामसिंह-मैं राजा हूँ। राज काज के मामलों में किस किस वात की आपसे आज्ञा ली जायगी ? रानी-बिटिया का ब्याह राजकाज है ? रामसिंह-बादशाह से सम्बन्ध रखने वाली प्रत्येक बात राज काज है।