GE दृश्य तीसरा अंक. जेबुन्निसा-(हसती हुई) सच ? बॉदी-बखुदा। जेबुन्निसा-हजरत नूरजहाँ से भी ज्यादा । बॉदी-(जमीन चूम कर ) हुजूर जमीं का चाँद हैं। जेबुन्निसा-शराब भरकर एक ही घूट में पीकर बाँदी पर प्याला फैक कर ) भाग यहाँ से हरामजादी। (बांदी श्रादाब बजाती भाग जाती है।) जेबुन्निसा-(कुछ आप ही आप) जमीन का चाँद तो हूँ ही, जैसे चाँद में धब्बे होते है, उसी तरह मेरे अन्दर धब्बे हैं । मगर इससे क्या ? मैं आलमगीर बादशाह की बेटी, मुग़ल हरम की रानी और आलमगीर की प्यार की पुतली हूँ। अब्बा, जिन्होने रहम सीखा ही नहीं, जो सूखे काठ की तरह महज़ बादशाह नजर आते है, इस जेबुन्निसा को दिल से प्यार करते हैं, मगर उस प्यार में हिस्सा बटाने वाली वही आरमीनियन बाँदी है जिसे बुर्दा फरोशों से दारा ने खरीद लिया था और अपने नफ्स का शिकार बनाया था-वही बेरौरत और बे अस्मत औरत बदकिस्मत दारा के कत्ल होने पर अपने आका और खाँविन्द के कातिल आलमगीर की बॉदी बनने को झट तैयार हो गई । तुफ | और आज वह अपनी खूबसूरती की वजह से बादशाह की बेगम बनकर शाही रंगमहल को अपने ही अदल में
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