राजबिलास। संगयौ पिता वरजंत विविहि परि ॥ निज उपर फारि काढ्यौ गरत पावक पिंड पइट्ठयौ। धन धन्य कहै सुर धनवती पति सम मान परठ्यौ ॥ ३७॥ कामुकी बांताणं । अट्ठ मासं सुयं नंषि प्राधानयं, परठियं सांइ सच्छे तिने प्रानयं । अमर बानी बदे धन्य आवासयं, बर- सए मेह ज्यौं पुष्प बरवासयं ॥ ३८ ॥ सगति जो कीजिये तेह केही सती । धन्य कहि यैति के हाइ ज्यों धनवती॥ आपणां उभय कुल जेण अजुवालयं । धाइ राषी घणु दूध धवरा वियं ॥ बांधए हच्छ हत्येण सो बालयं । सुन्दराकार तनु गोरष कुमालयं ॥ ४० ॥ ___पंच धारण सो आप पासिद्यए। चित्त चाहंत ते दिंत तमु चिद्यए॥ मद्यरण न्हाण प्राभूषणे मंडियं । सुभग सुचि अंशुक अंग सोलंकियं ॥ ४१ ॥ ___चंद सिय पत्र बरजेम नित कल चढ। वियौ मासे जितौ एह दिवसें बढे ॥ सोम सम बयण जिम. लच्छि संतानयं । बोलिये अधिक किंतास बाषाणयं ४२॥ नाम वापौ ठव्यौ बज्जि नीसानयं । दिघ्घर हेम हय ईहकं दानयं ॥ निरषि नाना तणौ चित्त अति नेहयं । मोर मनि जिमि बसै सजल दल मोहयं ॥४३॥
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