यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

२२८ राशाविलाम । उघरे अंबार ॥ मधु रस सस्वाद मेवा मिठाइ । हरवाइ गरत सक्क उठाइ ॥ २१ ॥ मृगमद कपर केसर लवंग । अहिफेन हीर रेशम सुरंग ॥ तज जायपत्रि पत्रज तमाल । रस नारिकेल पुगी रसाल ॥ २२ ॥ हिंगरू अगर चंदन सुईठ । एलची जाइफल अरु मजीठ ॥ इत्यायनेक छंडे कृयाण । भग्गे सुगंधि रक्खन सुमान ॥ २३ ॥ बिधि बरन च्यारि छत्तीस योनि । चोपय प्रत्ये- क बहु जीव योनि ॥ भरहरिय भग्गि भय यत्र कुत्र । परि गय बियोग तिय भ्रात पुत्र ॥ २४ ॥ ठट्ठोरि हट्ट पट्टन सुढारि। गृह गृहनि जारि सुप्रजारि पारि ॥ सिंघनी सुधिनर के सुजान । खनि खोदि क्षोनि क खजान ॥ २५ ॥ धरहरत धरनि खरहरत कोट । लगि बेलदार किन्ने सलोट ॥ श्राबास ऊंच भयतर उपार । जहँ तह सुभूमि परिगय बिहार ॥ २६ ॥ ____इहि भांति दुर्ग ईडर उड़ाइ । मंठे सुभृत्य अन धन सचाइ ॥ भरि कनक रूब धन कोटि भार ॥ हय हत्यि करभ खच्चर अपार ॥ २७ ॥ राजेश राण नंदन सरोस । भल भीमसेन कूपर भरोस ॥ कट्टनह दूरि पर्तिसाह काज । रक्खन सुराह मेवार राज ॥ २८॥