पृष्ठ:रहीम-कवितावली.djvu/९८

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बरवै नायिका-भेद। परकीया-शुक्लाभिसारिका- सेत कुसुम के हरवा, भूषन सेत । चली रैनि उजिअरिश्रा, पिन के हेत ।। ७६ ॥ दिवा-अभिसारिका- पहिरि बसन जरितरित्रा, पित्र के हेत। चली जेठ दुपहरिया, मिलि रवि जोति ॥ ८० ॥ गणिका-अभिसारिका- धन-हित कीन्ह सिंगरवा, चातुर बाल । चली संग लै चेरिश्रा, जहँवा लाल ॥ ८१ ॥ ह-प्रवत्स्यत्प्रेयसी। मुग्धा-प्रवत्स्यत्प्रेयसी- परिगौ कानन सखिया, पिथ को गौन । बैठी कनक पलँगिश्रा, होइकै मौन ॥ ८२ ॥ माध्या-प्रवत्स्यत्प्रेयसी- सुठि सुकुमार तरुनिश्रा, सुनि विश्र गौन । .. लाजनि पौदि ओबरिी , द्वै कै मौन ॥ ३ ॥ प्रौदा-प्रवत्स्यत्प्रेयसी- बन घन फूलि टेसुइया, बगियन बेलि । तब पिअ चलेउ बिदेसवा, फागुन फैलि ॥४॥ ८०-१-जड़ाऊ । ८१-१-पीतम, २-चेरी-दासी। ८३-अन्दर-बरके भीतर की कोठरी। १४-१-टेसू।