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रहीम की कविता ।

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जिस समय रहीम का जन्म हुआ था,उसके प्रथम भी व्रजभाषा की कविता का अच्छा विकाश होचुका था। कवीर, सूरदास, मीरा, तुलसी आदि अनेक भक्त कवियों तथा चन्द और मलिक मुहम्मद जायसी ऐसे ऐतिहासिक कवियों की कीर्ति का अच्छा प्रकाश था। कविता-रसिकों तथा गुण-ग्राहियों के लिए यह बात कम प्रलोभन की न थी । दूसरे हिन्दी की सहज सुन्दरता तथा मनोमोहकता पर कौन मुग्ध नहीं हुआ, बहुत संभव है कि इन्हीं कारणों से रहीम ने हिन्दीको अपनाया हो अथवा भिखारीदासजी की उक्ति ही चरितार्थ होती हो--

"एकनि को जस ही को प्रयोजन है रसखानि रहीम की नाई।"

कुछ भी हो,चाहे यश के प्रलोभन से हो,चाहे हिन्दी की मधुरता से,यह हिन्दी के लिए गौरव की बात है । शृंगारिक कविता का विकाश इनके समय से ही हुआ । इनके जीवन-काल में ही गंग,केशव,सेनापति,विहारी,मतिराम आदि अनेक धुरंधर कवि उत्पन्न हो गए । मुसल्मान कवियों में मलिक मुहम्मद जायसी के बाद इन्हीं का नंबर था। इनके जीवन काल में फिर अहमद,उसमान,मुबारक,रसखानि आदि अच्छे हिन्दी के कवि उत्पन्न होगए।