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रहीम का परिचय।


ज्योतिषी लोग इसका आदर करते हैं और इसका फल प्रायः ठीक होता है, ऐसा कहते हैं । यह पुस्तक प्राप्त है और कई जगह प्रकाशित भी होचुकी है । पाठकों के विनोदार्थ इसके पाँच छन्द पुस्तक के अन्त में (देखो पृष्ठ ६०) संग्रहीत कर दिए गए हैं ।

इनके सिवाय रहीम-कृत कुछ और भी संस्कृत के स्फुट छन्द पाए जाते हैं जिन्हे अन्त में (देखो पृष्ठ ६५) संग्रहीत कर दिया है।

७ नगर शोभा-वर्णन --इस पुस्तक का अभी हाल में ही पता चला है । इसकी एक प्राचीन हस्त-लिपि याक्षिक-त्रय (पं० मयाशंकर याक्षिक,जीवनशंकर याक्षिक तथा भवानीशंकरजी याज्ञिक) को मिल भी गई है। हमने भी पं० भवानीशंकरजी से इसकी एक कापी के लिए निवेदन किया था। देने की स्वीकृति देकर भी खेद है कि अनावकाश से इसके छपने के समय तक कापी हमें मिल न सकी। दूसरे यह पुस्तक सब कम्पोज़ भी हो चुकी थी और विलम्ब करना अनुचित था । हमें आशा है,यदि इसका सौभाग्य हुआ तो दूसरे संस्करण में हम इसे दे सकेंगे । फिर भी नमूने के तौर पर कुछ छन्द दे दिए गए हैं। (देखो पृष्ट संख्या ५५)

इसमें देश की विभिन्न जातियों की स्त्रियों की शोभा का वर्णन है । वर्णन बड़ा ही स्वाभाविक और मनोहर बन पड़ा