इनकी साहित्य-भित्ति का निर्माण करना पड़ता है। इनके
रचित निम्न-लिखित ग्रन्थों का पता चलता है:-
१ सतसई -- कहा जाता है कि रहीम ने सतसई की रचना की है। परन्तु अद्यावधि इसका कहीं भी पता नहीं लगा है।
हमारी राय में, रहीम ने सतसई की रचना की है, यह
केवल अनुमान पर ही कहा जाता है। अनुमान इसी का-
रण किया जाता है कि रहीम के अतिरिक्त तुलसी,विहारी,
मतिराम, वृन्द आदि जिन-किन्हीं कवियों ने अधिकांश दाहों
में अपनी रचना की है, उन्होंने सतसई पूर्ण करके ही उसे
समाप्त किया है। रहीम ने भी अधिकतर दोहे ही बनाए
हैं। संभव है, यही अनुमान का कारण हो। लेकिन हमारे
अनुमान में रहीम ने सतसई का कोई विचार भी अपने
हृदय में नहीं किया है। रहीम के प्रथम सतसई का नाम
भी कहीं नहीं था। "आर्याशप्तसती" संस्कृत में तथा
तुलसी सतसई हिन्दी में अवश्य रची मौजूद थीं। परन्तु
आर्या शप्तसती की बाबत हम नहीं कह सकते; लेकिन
तुलसी सतसई का कोई प्रवार न था। विहारी और मति-
राम की सतसई रहीम के बाद पूर्ण हुई हैं। अतः इस
विचार से भी रहीम की सतसई का अनुमान शिथिल
होता है। एक यह भी बात है कि रहीम को कविता करने
के लिए समय बहुत कम मिला है जो कुछ समय मिला