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कविवर देव ] . २५२ [ 'हरिऔध' अनुकरण बाद के कवियों ने अधिकतर किया है। उनकी रचनात्रों में अन्य प्रान्तों के भी शब्द मिल जाते हैं । इसका कारण उनका देशाटन है । परन्तु वे उनमें ऐसे बैठाये मिलते हैं जैसे किसी सुन्दर स्वर्णाभरण में कोई नग। इसमें कोई सन्देह नहीं कि कविवर देवदत्त महाकवि थे और उनकी रचनाओं में अधिकांश महाकवि की सी महत्ताएँ मौजूद हैं।