कबीर साहब ] १५० [ 'हरिऔध' महत्व की घोषणा बड़ी ही सबल भाषा में की। निम्नलिखित पद्य इसके प्रमाण हैं :- काशी में हम प्रगट भये हैं रामानन्द चेताये। समरथ का परवाना लाये हंस उबारन आये ॥ -कबीर शब्दावली, प्रथम भाग पृ० ७१ सोरह संख्य के आगे समरथ जिन जग मोहि पठाया। .-कबीर बीजक पृ० २० तेहि पीछे हम आइया सत्य शब्द के हेत । कहते मोहिं भयल युग चारी। समझत नाहिं मोहि सुत नारी। कह कबीर हम युग युग कही। जबहीं चेतो तबहीं सही। ____कबीर बीजक पृ० १२५, ५६२ जो कोई होय सत्य का किनका सो हमको पतिआई। और न मिलै कोटि करि थाकै बहुरि काल घर जाई। कबीर बीजक पृ० २० जम्बू द्वीप के तुम सब हंसा गहिलो शब्द हमार । दास कबीरा अबकी दीहल निरगुन के टकसार । जहिया किरतिम ना हता धरती हप्ता न नीर । उतपति परलै ना हती तबकी कही कबीर । ई जग तो अँहड़े गया भया योग ना भोग । तिल-तिल झारि कबीर लिय तिलठी झारै लोग। कबीर बीजक पृ० ८०, ५६८, ६३२
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