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काव्य का लक्ष्य काव्य या कविकर्म के लक्ष्य को इम क्रम से तीन भागों में बाँट सकते हैं ( १ ) शब्द-विन्यास द्वारा श्रोता का ध्यान आकर्षित करना । (२) भावों का स्वरूप प्रत्यक्ष करना। | ( ३ ) नाना पदार्थों के साथ उनका प्रकृत संबंध प्रत्यक्ष करना। मेरी समझ में काव्य का अंतिम लक्ष्य तीसरा है। यह दूसरी बात है कि अपनी शक्ति के अनुसार कोई पहली सीढ़ी पर रह जाता है, कोई दूसरी ही तक पहुँच पाता है। श्रोता के संबंध में यदि हम पहले दो विभागों का ही विचार करते हैं तो कविता केवल आनंद या मनोरंजन की वस्तु प्रतीत होती है। • 'भाव के विषय का कैसा ही यथा तश्य चित्रण क्यों न हो यदि उसके वर्णन के अंतर्गत ही उक्त भाव को शब्द और चेष्टा द्वारा प्रकट करनेवाला न होगा, तो [ शास्त्रीय दृष्टि से ] रस