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६-हँस-सन्देश
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भेद से पुरुषों के चार ही भेद होते है—अर्थात् अनुकूल, दक्षिण, धृष्ठ और शठ, परन्तु अवस्था भेद से स्त्रियोंके अनेक भेद होते हैं। यह बात हमारी समझ में नहीं आती। मनोविकार दोनों में प्रायः एकही से होते है। जिस प्रकार के लक्षण और उदाहरण नायिकाओं के विषय में लिखे गये हैं, उसी प्रकार के लक्षण और उदाहरण प्राय: पुरुषों के विषयमें भी लिखे जा सकते हैं। परन्तु हमारी भाषा के कवियों ने नायकों के ऊपर इस प्रकारकी पुस्तकें नहीं लिखीं। इसलिये हम उनको अनेक धन्यवाद देते हैं। यदि कहीं वे इस ओर भी अपनी कवित्व-शक्ति की योजना करते, तो हमारा कविता साहित्य और भी अधिक चौपट हो जाता।

 


 

६-हंस सन्देश

संस्कृत में सहृदयानन्द नामक एक बहुत ही सरस काव्य है। उसके कर्ता कविकी जबानी एक पुरानी कथा सुनिए।

निषध देशका राजा नल, एकबार, वनविहार को निकला। नगरसे कुछ दूर जाने पर, एक उपवन में, उसने एक मनोहर तालाब देखा। उसमे कमल खूब खिल रहे थे। मछलियां खेल रही थीं और अनेक प्रकार के जल पक्षी कलोल कर रहे थे। वहाँ पर उसने एक बहुत ही मनोहर