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नायक ~ रूप-यौवन-सम्पन्न, उत्साह-गोल, उदार, कुलीन, सुशील, जन-अनुराग- श्राजन, चतुर, बुद्धिमान् , तेजस्वी और महान् हृदय पुरुष नायक कहलाता है। स्वभाव के अनुसार उसके चार भेद माने गये हैं, वे निम्नलिखित हैं- १-धीरोदात्त, २-धीरोद्धत, ३-धीरललित और ४-धीरप्रशान्त १-धीरोदात्त क्षमावान्, धीर-गभीर, स्थिर-प्रकृति, महान् चेता, हर्ष-शोकादि में अविचल- चित्त, दृढव्रत, विनयी और उदारहृदय पुरुष धीरोदात्त कहलाता है । उदाहरण ऋवित्त- सूधो सधो उदधि-गभीर धीर-वीर है जो जाकी धी मैं धरम-धुरीनता है निवसी । सबल सुसील सत्यसंध साहसी है जौन सरद-सिता सी जाकी साधना है विकसी। 'हरिऔध' लोक - हित ललित बनत जाते विपुल - बिभूति जाके लोमन ते निकसी। महि मॉहि परम • महान सोई मानव है जाके मंजु- मानस में मानवता विलसी ॥१॥ सवैया- राखें दोऊ मरजाद सदा है गभीरता दोहुन में मनमानी। भू मैं अहैं रतनाकर हूँ दोऊ दोखे समान दुहन मैं पानी । ए 'हरिऔध' रहैं रस एक ही दोहुँन की गति जाति न जानी । एक से भूतल मैं विलसैं दोऊ सागर औ गुन-आगर प्रानी ।।२।।