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१४७ नायिका के भेद उदाहरण मुग्धा दोहा- नवला कत सकुचति इतो सजत सँवारत कुंज । दुरे छवीली होत का दुरत नहीं छवि-पुंज ।।१।। काहे सजति न सेज अलि साज मिले अनुकूल । बिकच-कमल-कर मैं फबहिं खिले फंबीले फूल ||२|| मध्या दोहा- महल-टहल के समय मन काको हरति न बीर । कलरव-रत-कटि-किकिनी बजत मंजु-मंजीर ॥१॥ सकुचति कबौं सकुच तजति तिय सब लेति सहेज। अभिमत-साजन ते सजति सखिन सजाई सेज ||२|| प्रौढ़ा दोहा- बोलि बोलि सखियान को कहि कहि वैन रसाल । केलि-सदन को सुर-सदन सरिस बनावति बाल ||१|| बासि बासि बर-बास ते सजि सजि केलि-अबास । विलसति रहति बिलासिनी करि करि विविध-बिलास ||२|| परकीया कवित्त- बैठी हुती मंदिर मैं कलित-कुरंग-नैनी जाको लखि काम-कामिनी को मानकिलिगो । क्यो हूँ कढ़ यो तहाँ आइ सॉवरो-छवीलो-छैल जाको गान तानन ते ताके कान पिलिगो।