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रसकलस १२० ऐसी न लालिमा है अखियान की जो 'हरिऔध'पै ऑखि न पारे। सूल सी सालति ऐसियै भूल अरी पिय को मति फूल सों मारै ॥ १ ॥ स्वभाव-संबंधी भेद नायिका के स्वभाव-सबधी तीन भेद बतलाये गये हैं-१-अन्यसुरतिदु खिता २-वक्रोक्तिगर्विता और ३-मानवती। यह भेद मध्या और प्रौढा ही में माना गया है । परकोया और सामान्या में भी गृहीत हो सकता है । अन्यसुरतिदुःखिता अन्य न्त्री के शरीर पर प्रिय-सभोग चिह देखकर दु.ख प्रकाश करनेवाली नायिका अन्यसुरतिदु खिता कहलाती है । उदाहरण कवित्त- पान-वारे - ओठन की लालिमार लूटी गई गारत भयो है रग गोरे - गोरे - गाल को । श्राली तेरे आनन को श्रोपहूँ परानो कहें, मरदि गयो है मान तेरी मजु - चाल को। 'हरिऔध' सारे - अग सेट में रहे हैं दूवि अवि अवि सासें भरै भाखत न हाल को । एरी रूप - वारी कौने तोपै बटपारी करी एरी वारी भोरी कौने लूट्यो तेरे माल को ।।१।। दोहा- परम निठुर पं जात ही भयो कहा तोहि वीर । कत तू परि परि गई उठी कौन सी पीर ।।२।। कत हौं पठई कत गई तू वापै करि प्यार । अरी रीमि कैसे मयो तो पै मो रिझवार ॥३॥