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रश्मि रेखा (२) हमने उनके अर्थ रँग लिया निज मन गैरिक रनरी और उन्हीं के अर्थ सुगन्धित फिये सभी अग-अङ्ग री सबन-लगन में हृदय हो चुका मूर्तिमत सन्यास री अब जोगी बन छोडे गे क्या वे यह हिय-आषास री? सजनि रंच कह दो उनसे है यह बेतुका विचार री उनके रमते जोगी पन स होगा जीवन भार री चौमासे में अनिकेतन भी करते फुटी प्रवेश री उनको क्या सूझी कि फिरेगे वे सब देश विदेश री उनका अभिनव योग बनेगा इस जीवन का सोग री सखी नैन कैसे देखेंगे उनका वह सब जोग री' श्री गोश कुरोष प्रताप कानपुर दिनांक २ जुल १ }