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रश्मि रेखा (२) द्विज कुल ने जागरण मन्त्र निज नीड़ों स उच्चारे लतिकाओं नप जागृत्ति के हिल मिल किये इशारे कब तक साओगे तुम मेरे बारे नयन-उजारे ? मुसकाओ जागरण अमीरस पीत-पीत । जागा मेरे प्राण पिरीत। (३) बलि जाऊ । खोला तो अपनी ये अलसाई अँखियाँ यसे ही जसे नव कलियाँ खोल रही है पखियों । खुला रही है तुम्हें चहक कर सब विहशिनी सखियाँ निरखो मेरे ललन प्रात क य नव रग मन चीत जागा मेरे प्राण पिरीते। केन्द्रीय कारागार बरेली दिनार ६ मा १४ }