पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/१३३

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रश्मि रेखा तरुवर आज हुए अनुरागी कल के ये पैरागी तरुवर आज हुए अनुरागी वणहीन जो पणहीन थे उन्हें नवल लो लागी तरुवर आज हुए अनुरागी । ( कल तक जो सूखे-साखे थे थे नगे भिखमंगे निरे ठठरियों से लगते थे दिखते थे बेडा थे जो ठूठ मूठ-मारे वे आज हा गए चगे पतझड के शाडों में सहसा नवल रसिकता जागी तरुवर गाज हुए अनुरागी।