हुआ और उसने अपना लकब 'अमीर नासिरुद्दीन सुबुकतिगीन' रक्खा । इसने सन् ९७० ई० में ग़ज़नी को अपनी राजधानी बनाया और हिन्दुस्तान पर चढ़ाव किया, तथा लाहौर के राजा जयपाल को जीता। फिर उसके मरनेपर सन् ९९९ ई० में सुलतान महमूद अपने भाई इस्माईल को मार ग़ज़नी के तख्त़पर बैठा। सन् १००१ ई० में उस (महमुद ग़ज़नवी) ने हिन्दुस्तान पर पहिली चढ़ाई की और अपने बाप के बैरी जयपाल को कैद कर लिया। भटनेर के राजा कोजीतने के लिये उसने सन् १००४ ई० में दूसरी चढ़ाई की। तीसरी चढ़ाई उसकी मुलतान के हाकिम अब्बुल फ़तह लोदी के जीतने के लिये सन् १००५ ई० में हुई । सन् १००८ ई० में चौथी चढ़ाई उसने जयपाल के बेटे आनन्दपाल के जीतने के लिए की और उसे जीत उस (महमूद ) ने नगर कोट लूटा और भारतवर्ष की अनन्त लक्ष्मी वह लेगया। जिस लूट में पांचहज़ार मन सोना और बीस मन जवाहिर उसके हाथ लगा था । छठी बेर सन् १०११ ई० में उसने थानेसर लूटा और सातवीं तथा आठवीं चढ़ाई जो उसने सन् १०१३ और १०१४ ई० में काश्मीर पर की थी, वहां के राजा संग्राम देव से हारकर अपने देश की शरण ली । नवीं बार बड़े धूम धाम से उसने सन् १०१७ ई० में कन्नौज पर चढ़ाई की, पर वहांके राजा के वश्यता स्वीकार करने पर वह मथुरा का नाश करता हुआ गजनी लौट गया। दसवीं बार वह सन् १०२२ ई० में कालिंजर पर चढ़ा और उसी बरस ग्यारहवीं चढ़ाई उसकी लाहौर पर हुई। बारहवीं बार सन् १०२४ ई० में उसने गुजरात पर चढ़ाई करके सोमनाथ के प्रसिद्ध मन्दिर को तोड़ा । इसके पीछे फिर वह हिंदुस्तान में नहीं आया और सन् १०३० ई० में मरगया। उसके मरने पर उसके वंशवालों का कुछ कुछ अधिकार केवल पंजाब पर रहा।
निदान, ग़ज़नी राज्य के निर्बल होने पर ग़ोर के हाकिम जगत- दाहक ( जहांसोज़ ) अलाउद्दीन ग़ोरी ने ग़ज़नी के अन्तिम बाद- शाह बहराम को मारकर अपने को वहाँका बादशाह बनाया और कुछ दिन पीछे उसके भतीजे शहाबुद्दीन मुहम्मद गोरीने बहराम के पोते खुसरो मलिक को मारकर ग़ज़नी के राजवंश का नाम सदा के लिये मिटा दिया। यही शहाबुद्दीन मुहम्मद हिंदुस्तान में मुस- लमानी राज्य की जड़ जमानेवाला हुआ । इसने सन १९७६ ई० से